
शिमला : हिमाचल प्रदेश सरकार ने करुणामूलक आधार पर नौकरी का इंतजार कर रहे हजारों जरूरतमंद परिवारों को बड़ी राहत दी है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार को शिमला में आयोजित करुणामूलक रोजगार नीति संबंधी बैठक में निर्देश दिए कि इस प्रक्रिया को अगले एक वर्ष में पूर्ण किया जाए। साथ ही पात्रता की आय सीमा को भी बढ़ाकर ₹3 लाख वार्षिक कर दिया गया है।
तीन चरणों में होगी प्रक्रिया
सीएम सुक्खू ने स्पष्ट किया कि लंबित मामलों को तीन चरणों में निपटाया जाएगा:
- पहला चरण – ऐसी विधवाएं और अनाथ, जिनकी उम्र 45 वर्ष से कम है और जिनके माता-पिता नहीं हैं, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी। वर्तमान में ऐसे 141 विधवा और 159 अनाथ मामलों की पहचान की गई है।
- दूसरा चरण – उन पात्र व्यक्तियों को रोजगार दिया जाएगा जिनकी वार्षिक आय बेहद कम है।
- तीसरा चरण – बाकी सभी पात्र आवेदकों को इस चरण में नौकरी प्रदान की जाएगी।
लंबित हैं 1839 मामले
डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री द्वारा मार्च 2025 में बजट सत्र के दौरान दी गई जानकारी के अनुसार, प्रदेश में 31 अक्टूबर 2024 तक करुणामूलक आधार पर रोजगार के 1839 मामले लंबित हैं। मार्च 2019 में संशोधित दिशा-निर्देशों के तहत इन मामलों के निपटारे की प्रक्रिया चल रही है।
हालांकि, अब तक 2524 मामलों को विभिन्न कारणों से अस्वीकृत भी किया जा चुका है।
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नीति में बदलाव से बढ़ी उम्मीदें
सरकार के इस फैसले से उन परिवारों को काफी राहत मिलेगी, जिनके परिजनों की सरकारी सेवा के दौरान मृत्यु हो चुकी है या स्थायी रूप से अक्षम हो चुके हैं। करुणामूलक आधार पर नौकरी ऐसी स्थिति में परिजनों को आर्थिक सहारा देने का महत्वपूर्ण माध्यम बनती है।