
सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) पर जीएसटी की दरें बढ़ाने पर विचार कर रही है, जिसमें प्रीमियम इलेक्ट्रिक कारों के लिए जीएसटी 5% से बढ़ाकर 18% करने का प्रस्ताव है। आइए जानते हैं, इसका भारतीय EV बाजार पर क्या प्रभाव हो सकता है।
भारतीय EV मार्केट पर असर
भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का बाजार तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन अब एक नए प्रस्ताव से ऑटो कंपनियों और ग्राहकों दोनों में चिंताएं उत्पन्न हो रही हैं। मंत्रियों के एक समूह ने सुझाव दिया है कि 20 लाख रुपये से अधिक कीमत वाली इलेक्ट्रिक कारों पर जीएसटी दर 5% से बढ़ाकर 18% कर दी जाए। हालांकि, इस पर अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है, लेकिन सिर्फ इस चर्चा का असर बाजार में देखने को मिल रहा है।
कंपनियों की चिंता क्यों?
टाटा मोटर्स के पैसेंजर व्हीकल्स और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के एमडी शैलेश चंद्रा ने कहा है कि पिछले एक साल में ईवी सेगमेंट ने भारत में उल्लेखनीय प्रगति की है। अब कई एसयूवी ईवी और पेट्रोल-डीजल वाहनों की ऑन-रोड कीमतें लगभग समान हो चुकी हैं। उन्होंने बताया कि देश में 24,000 से अधिक सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित हो चुके हैं और 500 किमी रियल रेंज वाली इलेक्ट्रिक कारें भी बाजार में उपलब्ध हैं। इस बढ़ती ग्रोथ में 5% का concessional जीएसटी बहुत मददगार साबित हुआ है। यदि यह दर बढ़ाई जाती है, तो ईवी की बिक्री और ग्राहकों का भरोसा दोनों पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
महिंद्रा और MG Motor की राय
महिंद्रा ने कहा है कि 5% टैक्स स्लैब ने 10 से 40 लाख रुपये के बीच ईवी सेगमेंट में पारंपरिक वाहनों और इलेक्ट्रिक वाहनों के बीच कीमत का संतुलन बनाए रखा है। वहीं, MG Motor इंडिया के एमडी अनुराग मेहरोत्रा ने जीरो जीएसटी की वकालत की है और कहा है कि ईवी को अपनाने के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और होम चार्जिंग सुविधाओं को भी आसान बनाना जरूरी है।
लग्जरी ईवी सेगमेंट पर प्रभाव
मर्सिडीज-बेंज इंडिया के एमडी एवं सीईओ संतोष अय्यर का मानना है कि लग्जरी ईवी, खासकर एंट्री-लेवल मॉडल, इस बदलाव से सबसे अधिक प्रभावित होंगे। हाई-एंड ग्राहकों को कीमत में ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन अभी तक कम जीएसटी ने इस सेगमेंट में बिक्री को बढ़ावा दिया है। जुलाई 2025 में भारत में 15,528 इलेक्ट्रिक कारें बिक चुकी हैं, जो पिछले साल की तुलना में 93% अधिक हैं। यह संकेत देता है कि ईवी तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं।