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उत्तराखंड में हाल ही में हुई बारिश और बर्फबारी के बाद से मौसम में ठंडक में इजाफा हो गया है। पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी ने कई स्थानों पर यातायात को प्रभावित किया है। तीसरे दिन भी गंगोत्री हाईवे पर सामान्य वाहनों की आवाजाही सुचारू नहीं हो पाई है। भारतीय सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के अनुसार, केवल छोटे वाहन और चेन लगे वाहन ही इन रास्तों पर चल सकते हैं।
सुक्की टॉप से झाला और हर्षिल के बीच बर्फबारी का असर
सुक्की टॉप से झाला और हर्षिल के बीच करीब एक फीट बर्फ जमने के कारण बीआरओ को रास्ते को खोलने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस समय, इन क्षेत्रों में यात्रा करने वाले पर्यटकों और स्थानीय लोगों को बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
बदरीनाथ, मलारी, औली और चमोली-ऊखीमठ हाईवे भी बंद
बर्फबारी के कारण बदरीनाथ हाईवे हनुमान चट्टी से आगे बंद हो गया है। मलारी हाईवे भी भापकुंड से आगे बंद हो गया है और चमोली-ऊखीमठ हाईवे कांचुलाखर्क से आगे यातायात के लिए बंद है। इसके अलावा, औली सड़क भी सुनील गांव से आगे अवरुद्ध हो गई है।
धार्मिक स्थलों पर भी बर्फबारी का असर
बदरीनाथ धाम में तीन फीट और हेमकुंड साहिब में चार फीट तक बर्फ जम चुकी है, जिससे इन धार्मिक स्थलों तक पहुंचने में मुश्किलें बढ़ गई हैं। फूलों की घाटी, औली, गोरसों और अन्य ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी बर्फबारी का असर देखा गया है।
बीआरओ द्वारा प्रयास जारी
बीआरओ के कर्मचारियों ने बर्फ हटाने का काम शुरू कर दिया है, लेकिन रास्तों के फिर से खुलने में कुछ समय लग सकता है। यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे यात्रा करने से पहले मौसम की स्थिति और रास्तों की स्थिति की जानकारी ले लें।
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी से ठंडक का स्तर और बढ़ गया है, और इसके साथ ही यात्रियों और स्थानीय लोगों के लिए सड़क यातायात भी चुनौतीपूर्ण हो गया है। सरकार और बीआरओ पूरी कोशिश कर रहे हैं ताकि इन रास्तों को जल्द से जल्द खोलकर आम लोगों की आवाजाही को सुचारू किया जा सके।