साथ काम करने वाले ही कातिल बन गए, बांग्लादेश में दीपू लिंचिंग की दर्दनाक कहानी

ढाका : बांग्लादेश के मयमनसिंह जिले की एक गारमेंट फैक्ट्री में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की मॉब लिंचिंग की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है। पुलिस का स्पष्ट कहना है कि यदि फैक्ट्री प्रबंधन समय पर सूचना देता, तो संभवतः उसकी जान बचाई जा सकती थी। सबसे बड़ी बात यह सामने आई है कि अब तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे यह साबित हो सके कि दीपू ने किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत किया था।

देर से मिली जानकारी, भीड़ ने रोका रास्ता

जिले के एसपी (इंडस्ट्रियल) मोहम्मद फरहाद हुसैन खान ने बताया कि उन्हें घटना की सूचना रात 8 बजे मिली। पुलिस तुरंत रवाना हुई लेकिन तब तक सैकड़ों लोग सड़क पर जमा हो चुके थे। गुस्साई भीड़ दीपू के शव को हाईवे की ओर ले जा रही थी, जिस कारण लगभग 10 किलोमीटर लंबा जाम लग गया और पुलिस का आगे बढ़ना मुश्किल हो गया। एसपी का कहना है कि फैक्ट्री प्रशासन अगर शुरू में ही पुलिस को सूचित कर देता तो हालात अलग हो सकते थे।

फैक्ट्री प्रबंधन की बड़ी चूक

फैक्ट्री के सीनियर मैनेजर ने स्वीकार किया कि लगभग शाम 5 बजे से ही विवाद शुरू हो गया था, आरोप लगाए जा रहे थे लेकिन उनके पास कोई ठोस सबूत नहीं था। शांत कराने के प्रयास में 7.30 बजे दीपू का नकली इस्तीफा तक लिखवा दिया गया, फिर भी उग्र भीड़ नहीं मानी। दीपू को सुरक्षा कक्ष में रखा गया, लेकिन यही देरी भारी पड़ गई। शिफ्ट बदलने के समय अधिक मजदूर इकट्ठा हो गए और फिर फैक्ट्री का गेट तोड़कर भीड़ अंदर घुस आई और दीपू को अपने कब्जे में ले गई।

इसके बाद हमलावरों ने उसे फैक्ट्री से बाहर खींचकर बेरहमी से पीटा, हत्या की और शव को आग लगा दी। बाद में पुलिस और प्रशासन ने हालात नियंत्रित किए, हालांकि इसमें काफी विलंब हुआ।

आरोप झूठे, पुलिस ने साफ किया तथ्य

RAB-14 कंपनी कमांडर मोहम्मद शम्सुज्जमां ने कहा कि जांच में ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है जिससे पता चले कि दीपू ने सोशल मीडिया या किसी अन्य माध्यम से धार्मिक भावनाएं भड़काने जैसा कोई काम किया हो। यह साफ इशारा करता है कि मामला अफवाह और कट्टरपंथ की आग में भड़काया गया।

तेज हुई कार्रवाई, 12 आरोपी गिरफ्तार

पीड़ित के भाई अपू चंद्र दास ने 140–150 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। पुलिस अब तक 12 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है और बाकी की तलाश जारी है। प्रशासन ने भरोसा दिलाया है कि दोषियों को कड़ी सजा दिलाने के लिए हर संभव कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

उम्मीद की किरण न्याय की दिशा में मजबूत कदम

इस पूरे मामले में जहां फैक्ट्री प्रबंधन की लापरवाही उजागर हुई है, वहीं पुलिस ने तेजी दिखाते हुए कार्रवाई शुरू कर दी है। सरकार, मानवाधिकार संगठनों और सामाजिक समूहों द्वारा इसे गंभीर मानते हुए लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि न्याय जल्द मिलेगा और ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए सख्त नजीर स्थापित की जाएगी।

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