
पूरनपुर, पीलीभीत। पूरनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में बीती रात एक शर्मनाक और दर्दनाक घटना सामने आई, जिसने सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल खोल दी। शुक्रवार सुबह मीडिया कर्मी मौके पर पहुंचे और इस गंभीर चूक की खबर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) आलोक कुमार शर्मा तक पहुंचाई।
मीडिया कर्मियों ने सीएमओ के सामने सवालों की झड़ी लगा दी —
रात में इमरजेंसी में कितने मरीज भर्ती थे?
क्यों नहीं सभी बेडों पर ऑक्सीजन की व्यवस्था थी?
जब मासूमों की हालत बिगड़ी, तब कोई डॉक्टर या वार्ड बॉय कहां था?
क्या मासूमों की जान इतनी सस्ती है कि जिम्मेदार सिर्फ बचाव में बयान देते रहें?
सीएचसी स्टाफ की नींद और लापरवाही के चलते मासूम बच्चे तड़पते रहे। न समय पर ऑक्सीजन मिली, न सही इलाज। मीडिया कर्मी की पड़ताल में सामने आया कि रात के समय इमरजेंसी वार्ड में कई बेड ऑक्सीजन से खाली थे। वार्ड बॉय अपने कर्तव्यों से बेपरवाह नजर आया।
सीएमओ का गुस्सा फूटा, दिए सख्त निर्देश
मीडिया की जानकारी के बाद CMO आलोक कुमार शर्मा तत्काल पूरनपुर सीएचसी पहुंचे और निरीक्षण किया। उन्होंने मौके की गंभीरता को समझते हुए इमरजेंसी वार्ड के सभी बेडों पर तत्काल ऑक्सीजन सिलेंडर लगवाने के निर्देश दिए।
साथ ही, रात की ड्यूटी में तैनात लापरवाह वार्ड बॉय का वेतन काटने का आदेश जारी किया।
उन्होंने प्रभारी चिकित्सा अधिकारी और अन्य स्टाफ को भी कड़ी फटकार लगाई और कहा कि ऐसी लापरवाही दोबारा बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सवाल अभी भी जिंदा हैं…
क्या सिर्फ वेतन काटने से जिम्मेदारी तय हो जाएगी?
जिन मासूमों की जान गई, उनकी भरपाई कौन करेगा?
क्या भविष्य में भी ऐसे ही हादसे होते रहेंगे?
तीखी बात
यह कोई पहली बार नहीं है जब सरकारी अस्पताल की लापरवाही से मासूमों की जान गई हो। सवाल यह है कि कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होगी या जिम्मेदारों को असल में जवाबदेह बनाया जाएगा?