
Meerut : उत्तर प्रदेश के मेरठ की अब्दुल्ला रेजीडेंसी में अवैध निर्माण को लेकर चर्चा में आने के बाद, हिंदू धर्म के लोगों की एंट्री पर प्रतिबंध के संदर्भ में, यहां अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाया गया है। इससे पहले, प्रदेश के ऊर्जा राज्य मंत्री सोमेंद्र तोमर ने कॉलोनी के निर्माण में जांच की मांग को लेकर मेरठ के जिलाधिकारी को पत्र लिखा था।
300 मीटर अवैध निर्माण को ध्वस्त किया गया
रिपोर्ट्स के अनुसार, मंत्री की शिकायत के बाद, डीएम के निर्देश पर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/एसडीएम सदर डॉ. दीक्षा जोशी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जाँच समिति का गठन किया गया था। मंगलवार (10 सितंबर 2025) को पुलिस, प्रशासन और आवास विकास परिषद की टीम मौके पर पहुंची और करीब 300 मीटर अवैध निर्माण को बुलडोजर से गिरा दिया गया।
प्रशासन की टीम जमीन से जुड़े आठ बिंदुओं पर जांच कर रही थी, जिनमें जमीन की प्रकृति, कब्जा और मानचित्र से संबंधित विवरण शामिल थे। जाँच के दौरान पाया गया कि मानचित्र के मुकाबले करीब 300 मीटर जमीन पर अवैध कब्जा किया गया था। इसके बाद, उस जमीन पर बनी बाउंड्रीवॉल को गिरा दिया गया।
बताया जा रहा है कि इस कॉलोनी के लिए 22,000 वर्ग मीटर के मानचित्र को स्वीकृति मिली थी, लेकिन बिल्डर ने अतिरिक्त 300 मीटर जमीन पर कब्जा कर लिया था। इस कॉलोनी की जाँच कर रही टीम में सीओ सिविल लाइन अभिषेक तिवारी और आवास विकास के एसई राजीव कुमार शामिल हैं। अधिकारियों ने जाँच पूरी होने तक कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।
गैंगस्टर की जमीन पर बनी कॉलोनी में हिंदुओं की नो-एंट्री
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि इस कॉलोनी का निर्माण गैंगस्टर शारिक की जमीन पर किया गया था, जो वर्तमान में जेल में बंद है। इस कॉलोनी में एक मस्जिद का भी निर्माण कर दिया गया था। मंत्री तोमर ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि अब्दुल्ला रेजीडेंसी पिछले 10 वर्षों से विकसित की जा रही है, जिसमें केवल मुस्लिम समुदाय के लोगों को बसाने की योजना बनाई गई है।
उन्होंने यह भी पूछा कि कॉलोनी में बनी मस्जिद का नक्शा वैध तरीके से स्वीकृत हुआ है या नहीं। साथ ही, गैंगस्टर शारिक की जमीन के शामिल होने की जाँच भी की जाएगी। तोमर ने कहा कि धार्मिक आधार पर विभाजन का प्रयास सफल नहीं होगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब्दुल्ला रेजीडेंसी में 90 प्रतिशत प्लॉट मुस्लिम समुदाय को बेचे गए हैं। कुल 75 प्लॉट वाली इस कॉलोनी में सिर्फ 4 प्लॉट हिंदुओं के हैं। इस प्रोजेक्ट के दो भागीदार हैं—मेजर जनरल जावेद इकबाल और महेंद्र गुप्ता। इन आरोपों के बाद ही मंत्री ने जाँच के लिए डीएम को पत्र लिखा था।
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