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मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने शनिवार को ‘मेरे शहर के 100 रत्न’ कार्यक्रम का शुभारंभ किया, जिसके तहत हिमाचल प्रदेश के 6,800 मेधावी विद्यार्थियों को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की निःशुल्क कोचिंग प्रदान की जाएगी। इस पहल के तहत क्रैक एकेडमी 34 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश से प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के 100 प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को निःशुल्क कोचिंग उपलब्ध कराएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना से न केवल राज्य के विद्यार्थियों को उच्चस्तरीय शिक्षा एवं मार्गदर्शन मिलेगा बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। उन्होंने बताया कि क्रैक एकेडमी प्रदेश में 90 से अधिक कोचिंग सेंटर स्थापित करेगी जिससे 5,000 लोगों को प्रत्यक्ष और हजारों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त होगा।
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस योजना के तहत निष्पक्ष चयन प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में परीक्षा आयोजित की जाएगी, जिसमें कक्षा 6 और उससे ऊपर के विद्यार्थी भाग ले सकेंगे। प्रत्येक क्षेत्र से शीर्ष 100 विद्यार्थियों को निःशुल्क कोचिंग मिलेगी जबकि अगले 200 विद्यार्थियों को 75 प्रतिशत और उसके बाद के 500 विद्यार्थियों को 50 प्रतिशत शुल्क छूट दी जाएगी।
इस पहल को सफल बनाने के लिए राज्य सरकार क्रैक एकेडमी को पूरा सहयोग देगी। शिक्षा विभाग परीक्षा संचालन की निगरानी करेगा, जबकि एकेडमी टेस्ट पेपर तैयार करेगी।
ज्वालामुखी से हुई शुरुआत, अब पूरे प्रदेश में विस्तार
मुख्यमंत्री ने बताया कि यह पहल सबसे पहले कांगड़ा जिले के ज्वालामुखी विधानसभा क्षेत्र में प्रारंभ की गई थी। वहां 50 स्कूलों के विद्यार्थियों ने इस योजना के तहत परीक्षा दी थी, जिसके बाद चयनित 220 विद्यार्थियों को योग्यता आधारित कोचिंग दी जा रही है। अब इस कार्यक्रम का विस्तार पूरे प्रदेश में किया जा रहा है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों और अभिभावकों को योजना के प्रति जागरूक करने के लिए एक मेगा अभियान भी शुरू किया। उन्होंने कहा कि यह पहल प्रदेश के होनहार विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उत्कृष्ट कोचिंग देने के साथ-साथ राज्य की शिक्षा व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ बनाएगी।
मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि क्रैक एकेडमी शिमला के ऐतिहासिक रिज पुस्तकालय के जीर्णोद्धार एवं रखरखाव के लिए 1.5 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। उन्होंने निर्देश दिए कि पुस्तकालय की विरासत को संरक्षित रखते हुए इसे आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया जाए, जिससे विद्यार्थियों को अधिक लाभ मिल सके।