उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अपने पूरे तेवर के साथ विपक्ष पर आक्रामक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आत्मविश्वास भरा चेहरा यह बताता है कि वह दोबारा सरकार बनने के प्रति पूरी तरह आश्वस्त हैं। वह तर्कों और आंकड़ों को आधार बनाते हुए अपनी बात रखते हैं, साथ ही सवाल भी उठाते हैं आखिर सपा और बसपा ने किया ही क्या है? योगी किसान आंदोलन को कोई मुद्दा न मानते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश की नब्ज पर हाथ रखने में भी कोई हिचक नहीं करते। कहते हैं- ‘किसान आंदोलन का उत्तर प्रदेश में कोई प्रभाव नहीं था। वैसे भी स्वाभिमानी जाट कैराना, कांधला, मुजफ्फरनगर और कोसी कलां के दंगे नहीं भूल सकते।’ मुख्यमंत्री आवास पांच कालिदास मार्ग पर दैनिक जागरण की संपादकीय टीम ने उनसे बातचीत की-
सवाल : उत्तर प्रदेश का चुनाव वस्तुत: देश का चुनाव होता है। आप इस चुनाव को कैसे देखते हैं। राष्ट्रीय राजनीति को यह किस तरह प्रभावित करेगा? -आशुतोष शुक्ल
जवाब : चुनाव हमारे लिए हमेशा अग्निपरीक्षा का दौर रहा है। कोई भी चुनाव उन लोगों के लिए चुनौती होता है जिन्होंने पांच साल तक जनता से संवाद न रखा हो। भाजपा ने पांच साल पहले जो कहा था, करके दिखाया। हमने लोक संकल्प पत्र जारी किया है, इसमें किए संकल्प भी पूरे करेंगे। उत्तर प्रदेश बड़ी आबादी वाला प्रदेश है। इसका असर राष्ट्रीय स्तर पर पड़ता है। यूपी की अर्थ व्यवस्था सुदृढ़ होती है तो देश की अर्थ व्यवस्था सुदृढ़ होती है। कोरोना प्रबंधन के लिए हमारा देश दुनिया के सामने उदाहरण रहा तो यूपी उसका आधार है। पांच साल पहले यूपी प्रश्न प्रदेश बना हुआ था। आज वही प्रदेश देश में विकास का उत्तर है।
सवाल : पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चुनाव का पहला पड़ाव है। इन 58 में से 53 सीटें 2017 में भाजपा जीती थी। इस बार कितनी सीटों की उम्मीद है? -अजय जायसवाल
जवाब : भाजपा इस बार दो सीटों की बढ़त के साथ 55 सीटें पहले चरण में जीत रही है। वहीं, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बात करें तो 113 में से 90 प्रतिशत सीटों पर भाजपा का परचम लहराएगा। हमारे लिए पहले और दूसरे चरण में चुनाव उठाना चुनौती थी, लेकिन चुनाव उठ चुका है। पश्चिम की आधी आबादी, हर व्यापारी, हर युवा और जो भी व्यक्ति शांति, सुरक्षा और समृद्धि का पक्षधर है, वह भाजपा को समर्थन करेगा। जाति की सीमाएं टूटती नजर आएंगी।
सवाल : इस बार कई क्षेत्रों में विधायकों के प्रति नाराजगी देखने को मिल रही है, लेकिन मोदी-योगी या भाजपा का विरोध नहीं है? -अजय जायसवाल
जवाब : आप पहली बार देख रहे होंगे कि 403 विधानसभा क्षेत्रों में कहीं भी मुख्यमंत्री का विरोध नहीं है। यह तब है, जब दंगाइयों को उनकी जगह दिखाई। माफिया की छाती पर बुलडोजर चलाया। इसके बाद भी यदि विरोध नहीं है तो स्पष्ट संदेश है कि जनता विकास और सुशासन के साथ है। हमने पांच वर्ष बिना रुके, बिना डिगे, बिना थके और बिना झुके, दमदार तरीके से काम किया। भ्रष्टाचारमुक्त प्रदेश की जो कल्पना थी, उसे साकार करके दिखाया।
सवाल : पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई सीटों पर मुसलमान निर्णायक हैं। कहा जाता है कि यह वर्ग अखिलेश के साथ है। दूसरी ओर जयंत जाटों की राजनीति करते हैं? माना जा रहा है कि यह जोड़ी भाजपा को सीधे नुकसान पहुंचा रही है? – हरिशंकर मिश्र
जवाब : हमने हिंदू-मुस्लिम के नाम पर वोट नहीं मांगा था। जिनको कर्फ्यू पसंद नहीं है, जिनको बहन बेटियों की सुरक्षा अच्छी लगती है, जिनको विकास अच्छा लगता है, वे सब भाजपा के साथ हैं। कोरोना काल में जब गरीब भूखा था तो उसमें मुस्लिम भी थे और हिंदू भी। राशन वितरण हिंदुओं में भी हुआ और मुसलमानों में भी। सपा शासन में दंगे हुए तो उसमें हिंदू भी मरे और मुस्लिम भी। मुस्लिमों को घर-बार छोड़ना पड़ा। जो दंगे में नहीं मरे, वे बीमारी से मर गए। क्या अखिलेश इसके लिए मुस्लिमों से माफी मांगेंगे? हमने वृद्धावस्था, विधवा पेंशन के रूप में 12 हजार रुपये दिए। सपा ने तो अपने शासन में इसे बंद कर दिया था। समाजवादी पेंशन के रूप में कुछ छंटे-छंटाए लोगों को ही दिए। पेशेवर लोगों में इसे बांटा, यह महापाप है। क्या अखिलेश इसके लिए माफी मांगेंगे?
सवाल : आप अपनी सभाओं में कैराना से पलायन या मुजफ्फरनगर दंगे की बातें करते हैं। जब आपने भरपूर विकास कराए हैं तो यह याद क्यों कराना पड़ रहा है? -हरिशंकर मिश्र
जवाब : विकास की सार्थकता बिना सुरक्षा के नहीं है। समृद्धि के लिए सुरक्षा सबसे बड़ी बात है। सपा बसपा के शासन में दंगों में सैकड़ों लोग मारे गए थे। सपा शासन में 700 दंगे हुए थे तो बसपा शासन में साढ़े तीन सौ। भाजपा शासन में एक भी दंगा नहीं हुआ। क्या ये उपलब्धि नहीं है? आज हम विकास योजनाओं में नंबर एक की राह पर हैं। मेरठ और दिल्ली के बीच निश्चित समय में एक्सप्रेस वे बना देते हैं। सहारनपुर, अलीगढ़ आदि जिलों में विश्वविद्यालय बन रहे हैं। ऐसा इसलिए है कि वहां सुरक्षा का माहौल बेहतर है। सुरक्षा है तो समय से कार्य पूरे होंगे। बेटियों को आधी रात में भी कहीं जाने में भय नहीं लगता क्योंकि वे जानती हैैं कि भाजपा का राज है। कैराना-कांधला में 25 साल बाद पेट्रोल पंप लगा। माल खुल रहे हैं। ऐसा इसलिए की लोग खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं।
सवाल : कृषि कानून विरोधी आंदोलन में जाट नेताओं की सक्रिय भागीदारी रही। क्या जाटलैंड में वह अपना प्रभाव नहीं डालेंगे? -जितेंद्र शर्मा
जवाब : किसान आंदोलन का उत्तर प्रदेश में कोई प्रभाव नहीं था। वैसे भी स्वाभिमानी जाट कैराना, कांधला, मुजफ्फरनगर और कोसी कलां के दंगे नहीं भूल सकता। सब जानते हैं कि कोसी में दंगा सिर्फ इसलिए हुआ कि जाट व्यापारी मस्जिद के बाहर पानी पीने चला गया था। मुजफ्फरनगर में दंगे इसलिए हुए, क्योंकि दो भाई सचिन और गौरव अपनी बहन से छेड़छाड़ का विरोध करने गए तो उनकी हत्या कर दी गई। तब सपा की सरकार थी, जो दंगाइयों के साथ खड़ी थी। कोई स्वाभिमानी कौम इसे कैसे बर्दाश्त करेगी। आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कोई मजबूरी नहीं है। कैराना से पलायन कर गया व्यापारी लौट आया है। बहन-बेटियां सुरक्षित हैं। यही खीझ हन्नान मोल्लाह और योगेंद्र यादव जैसे लोगों की है।
सवाल : जब आप विकास को लेकर इतने आश्वस्त हैं तो मुफ्त वितरण की तरफ क्यों? आप स्कूटी दे रहे हैं, सपा बिजली फ्री? यह ठीक बात तो नहीं ? -आशुतोष शुक्ल
जवाब : हमने लोक लुभावन नहीं लोक कल्याण का संकल्प पत्र दिया है। किसी मेधावी बेटी को स्कूटी देना गलत नहीं। अगर बेटी अपने अभिभावक या पिता से कहे कि मैं अच्छे अंक लाऊंगी और आप मुझे इनाम में स्कूटी देंगे तो पिता कैसे मना कर सकता है। यह कोई खैरात नहीं, बेटी का पुरस्कार है। कोरोना काल में हमने देखा कि युवाओं को आनलाइन पढ़ाई युवाओं को हमने लैपटाप और स्मार्टफोन दिया। अखिलेश सरकार ने तो लैपटाप बांटने में ही घोटाला कर दिया। 15 लाख लैपटाप खरीदे थे और पांच हजार बांटे बाकी कहां गए पता नहीं चला। बेईमानी के सिवा इन्होंने कुछ किया नहीं।
सवाल : विपक्षी दल महिलाओं को टिकट और नौकरियों में आरक्षण की बात कह रहे हैं। क्या भाजपा की भी ऐसी कोई योजना है? -अजय जायसवाल
जवाब : वह कह रहे हैं और हमने करके दिखा दिया। पुलिस भर्ती में महिलाओं की संख्या कितनी बढ़ी है। अब लोक कल्याण संकल्प पत्र के माध्यम से संकल्प ले चुके हैं कि सरकारी नौकरियों में महिलाओं की संख्या दोगुनी की जाएगी। यह हम जरूर करके दिखाएंगे।
सवाल : भाजपा ने खुद तो किसी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया, लेकिन सहयोगी अपना दल (एस) ने स्वार से मुस्लिम प्रत्याशी को उतारा है। क्या इसे भविष्य की संभावना या शुरुआत के तौर पर देख सकते हैं? -अजय जायसवाल
जवाब : चुनाव एक-दूसरे के विश्वास का होता है। कोई हमारे यहां आवेदन नहीं करेगा तो क्या जबरन दे देंगे। चुनाव में जीत का फैक्टर बड़ा होता है। स्वार में जो प्रत्याशी हैं, वह प्रतिष्ठित खानदान से हैं। उन्होंने कांग्रेस का टिकट ठुकरा दिया। सपा को जान चुके हैं कि वह विखंडन की ओर ले जाती है, इसलिए अपना दल से टिकट मांगा और उन्हें मिल गया।
सवाल : किसानों को मुफ्त बिजली देंगे तो क्या दूसरे उपभोक्ताओं पर उसका असर नहीं पड़ेगा? -अजय जायसवाल
जवाब : हम सिंचाई के लिए किसानों को मुफ्त बिजली देने जा रहे हैं। पीएम कुसुम योजना में सभी किसानों सोलर पंप देने की योजना है। किसान सौर ऊर्जा से ट्यूबवेल-पंप चलाएंगे और अतिरिक्त बिजली को बेच भी सकेंगे। इस योजना का उन्हें लाभ होगा। मैं अपने लोक कल्याण संकल्प पत्र के एक-एक बिंदु की विस्तार से व्याख्या कर सकता हूं। वहीं, विनम्रता से दावा करता हूं कि अखिलेश यादव अपना घोषणा पत्र बंद कर दें तो कुछ बता भी नहीं पाएंगे।
सवाल : सरकार का दावा है कि गन्ना किसानों का रिकार्ड भुगतान किया इसके बावजूद विपक्ष लगातार इसको क्यों मुददा बना रहा है। – अम्बिका वाजपेयी
जवाब : यह प्रश्न तो आपको विपक्ष से पूछना चाहिए। गन्ना किसानों का सबसे अधिक भुगतान भाजपा सरकार ने किया है। अप्रैल 17 से अब तक एक लाख 58 हजार सात सौ बयासी करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। सपा, बसपा और सपा के कुल चौदह साल के शासन में इतना भुगतान नहीं किया गया दूसरे इनके शासन काल में 29 चीनी मिलें बंद हो गईं। गन्ना मिल बंद होने से किसानों का हित नहीं हो सकता। हमारी सरकार ने बंद मिलों को चालू कराया और खेतों में गन्ना नहीं रहे, इसके लिए पहली बार जून तक मिलें चलाईं। पहली बार शुगर केन से करीब 12 हजार करोड़ का एथनाल बनाकर विदेशी मुद्रा बचाई। खांडसारी उद्वोग को लाइसेंस मुक्त किया जिससे हजारों किसान अब गुड़ उत्पादन से बेहतर जिंदगी जी रहे हैं। आज यूपी का गुड़ एक ब्रांड बन चुका है। मुजफ्फरनगर में 108 प्रकार का गुड़ बन रहा है, जो दुनिया भर में भेजा जा रहा है। यूपी ने अपनी एक हर चीज को नई पहचान दी है। पहले सारा लाभ आढ़ती ले जाते थे। दरअसल, अखिलेश को किसानों और एमएसपी के बारे में जानकारी ही नहीं है। वह बड़े बाप के बेटे हैं। इसलिए किसानों को गुमराह कर रहे हैं। जब देश या राज्य में कोई विपत्ति आती है तो अखिलेश आस्ट्रेलिया या इंग्लैंड की यात्रा पर होते हैं।
सवाल : मौजूदा चुनाव में सपा को मुकाबले में माना जा रहा है, लेकिन बसपा और कांग्रेस को लड़ाई में कहां देखते हैं। – राजीव बाजपेयी
जवाब : कोई लड़ाई में नहीं है, हम तीन सौ से ज्यादा सीटें लेकर आएंगे। आपको याद होगा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भी सपा मुकाबले में होने का दावा कर रही थी लेकिन बसपा दोगुणा सीट ले आई। रही कांग्रेस की बात तो उसको कोई भी गंभीरता से नहीं लेता, इसलिए वह तो चर्चा और लड़ाई के बाहर ही है।
सवाल : अखिलेश यादव पुरानी पेंशन बहाल करने की बात कर रहे हैं। क्या यह चुनावी मुद्दा बनेगा? -राजीव वाजपेयी
जवाब : पुरानी पेंशन के मसले पर अखिलेश यादव कर्मचारियों को गुमराह कर रहे हैं। इससे बड़ा झूठ दूसरा हो ही नहीं सकता। न्यू पेंशन स्कीम 2004 में मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री रहते हुए लागू की थी। 2012 से 2017 तक अखिलेश मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने कुछ नहीं किया। इस स्कीम में 10 प्रतिशत सरकार व 10 प्रतिशत कर्मचारी का अंशदान होता था। 2004 से 2018 तक 14 वर्षों का कर्मचारियों का अंशदान तक जमा नहीं किया गया था। जब हमारी सरकार आई तब कर्मचारी अंशदान निधि में 10 हजार करोड़ रुपये जमा कराया गया। हर कर्मचारी का अकाउंट खोला गया। इसके साथ ही राज्य सरकार के अंशदान को 10 फीसद से बढ़ाकर 14 प्रतिशत मेरी ही सरकार ने किया। सपा सरकार कर्मचारियों को बेवकूफ बना रही थी। वह अपना मुंह छिपाने के लिए और जगह बनाने के लिए इस तरह की बातें कर रहे हैं। मैं पूछना चाहता हूं। कि अखिलेश क्या राज्य के 16 लाख कर्मचारियों से अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगेंगे?
सवाल : यूं तो भाजपा का संकल्प पत्र आ गया है, लेकिन ऐसा कौन सा काम है, जिसे न पूरा न कर पाने की टीस आपके मन में है। आप सत्ता में वापसी करते हैैं तो किस योजना पर आपका फोकस रहेगा? -पवन तिवारी
जवाब : हमारा संकल्प पत्र लोक कल्याण का पत्र है। पांच वर्ष हमने जमकर लोक कल्याण के कार्य किए। मंगलवार को जारी संकल्प पत्र पिछले घोषणा पत्र का दूसरा चरण (फेज-टू)है। पहले फेज में अर्थ-व्यवस्था पर बहुत परिश्रम हुआ। दूसरे फेज में हमारा उद्देश्य है- उत्तर प्रदेश को देश की नंबर वन अर्थ व्यवस्था बनाना। सुरक्षा व्यवस्था, कानून-व्यवस्था, शिक्षा-व्यवस्था और अर्थ-ïïव्यवस्था की श्रेष्ठता की निरंतरता बनी रहे। हम सत्ता में वापसी करेंगे तो इसी पर हमारा जोर होगा।