
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट अदालत ने अपने बयान में कहा कि वर्तमान में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएआरएफ) की नीति में कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत अधिकारी माता-पिता की बीमारी के आधार पर अपने पोस्टिंग स्थल का चयन कर सकें, सूत्रो के अनुसार, दिल्ली हाईकोर्ट अदालत के जस्टिस सी हरि शंकर और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला शामिल की खंडपीठ ने अधिकारियों से कहा कि उन्हें ऐसे अधिकारियों की कठिनाइयों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए, अदालत ने स्पष्ट किया है कि (सीएआरएफ) नीति में केवल यह प्रावधान है कि यदि अधिकारी का जीवनसाथी या बच्चा बीमार है, तो यह पोस्टिंग चयन के लिए आधार बन सकता है, लेकिन अधिकारी के माता-पिता के मामले में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। यह सख्त नियम प्रतीत होता है, लेकिन इसे समझा जा सकता है, क्योंकि अधिकारियों के करियर में प्रगति के साथ उनके माता-पिता की उम्र भी बढ़ती है।
यदि अधिकारियों को माता-पिता की स्थिति के आधार पर पोस्टिंग चुनने की अनुमति दी जाती, तो उन्हें उचित तरीके से पोस्ट करना कठिन हो जाता है। अदालत ने उम्मीद जताई है कि संबंधित अधिकारियों को इस प्रकार की परिस्थितियों में कठिनाइयों को ध्यान रखना चाहिए, बता दें कि यह मामला एक ऐसे अधिकारी की याचिका से संबंधित था, जिसने अपने 90 वर्षीय पिता की देखभाल करने वाले एकमात्र सदस्य होने के कारण पोस्टिंग बदलने का अनुरोध किया था। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि जहां वह पोस्ट किए गए, वहां उनके पिता के इलाज के लिए पर्याप्त अस्पताल सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं। अदालत ने दोनों पक्षों की सहमति से याचिका को निपटाते हुए अधिकारियों से कहा है कि अधिकारी के पिता के इलाज के लिए पर्याप्त सुविधाओं वाले स्थान पर पोस्टिंग के अनुरोध पर विचार किया जाए, जिसमें रामपुर जैसे अधिकारी की पसंद का स्थान भी शामिल हो।
अदालत ने कहा कि यदि अनुरोध को पूरा करना संभव नहीं है, तो याचिकाकर्ता को एक सप्ताह के भीतर उपयुक्त कारणों के साथ लिखित रूप में सूचित किया जाए कि इसे क्यों पूरा नहीं किया जा सकता। उस स्थिति में याचिकाकर्ता स्थानांतरण के आदेश का पालन करेंगे।















