
Lucknow : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरूवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में भव्य जनजाति भागीदारी उत्सव का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जनजातियों का उत्थान किया जा रहा है। जनजातियों को सभी योजनाओं का लाभ मिला रहा है। बिना भेदभाव के योजनाओं का लाभ मिला रहा है। यूपी में जनजातियों को उनका अधिकार मिले। सरकार इस दिशा में काम कर रही है।
उत्सव के शुभारम्भ के अवसर पर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह, समाज कल्याण मंत्री असीम अरूण प्रमुख और भाजपा के प्रदेश महामंत्री सुभाष यदुवंश प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। जनजाति गौरव दिवस के अवसर पर 13 से 18 नवंबर तक “जनजाति भागीदारी उत्सव” का आयोजन गोमती नगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान परिसर में किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जनजातीय समुदाय को अपनी परम्परा, संस्कृति और विरासत पर गौरव की अनुभूति हो सके, उन्हें समाज और राष्ट्र की मुख्य धारा के साथ सम्मान के साथ आगे बढ़ने के लिए बेहतर प्लेटफार्म उपलब्ध किया जा सके, इस दृष्टि से जनजाति गौरव पखवाड़ा मनाया जा रहा है। इस दौरान जनजाति समाज के लोगों को योजनाओं से जोड़ने का कार्य किया रहा है। इसी क्रम में आज जनजाति भागीदारी उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। 22 राज्यों के कलाकारों को इस कार्यक्रम से जुड़ने के लिए अवसर मिल रहा है। अरुणांचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्य हैं। हस्तशिल्प एवं कला प्रदर्शनी का आयोजन भी किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह वर्ष कई मायनों में महत्वपूर्ण है। यह वर्ष भारत शिल्पी सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150वीं जयंती का वर्ष है। भगवान बिरसा मुंडा का भी जयंती वर्ष है। यह वर्ष वंदे मातरम् के 150 वर्ष में प्रवेश करने का साल है। यह वर्ष भारत के संविधान के लिए भी महत्वपूर्ण है। धरती आबा बिरसा मुंडा आजादी के पक्षधर थे। मात्र 25 वर्ष की आयु में उन्होंने रांची की जेल में अंतिम सांस ली। उन्होंने नारा दिया था कि देश हमारा राज्य हमारा। प्रधान मंत्री मोदी की प्रेरणा से यह पखवाड़ा मनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि मुझे खुशी है कि पिछले दिनों पुलिस भर्ती में जनजाति समाज के लिए आरक्षित सीटों पर इसी समाज के युवा चयनित हुए हैं। पहले इनकी सीटें खाली रह जाती थीं। इससे पता चलता है कि उनके शिक्षा का स्तर बढ़ा है। हमारी सरकार ने तय किया है कि प्रदेश की जनजाति जातियों को अधिकार दिलाया जाए। सरकार ने उनके लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। सरकार का प्रयास है कि जनजाति समाज के लोग मुख्य धारा में आकर आगे बढ़ें।
इस उत्सव में अरुणाचल प्रदेश, भागीदार राज्य के रूप में सम्मिलित रहेगा, जबकि 18 राज्यों के लगभग 600 ख्याति प्राप्त जनजातीय कलाकार अपने पारंपरिक नृत्य, गीत और वाद्य प्रस्तुतियों के माध्यम से देश की सांस्कृतिक एकता का संदेश देंगे। उत्सव के दौरान पारंपरिक व्यंजन, जनजातीय हस्तशिल्प, हथकरघा उत्पाद, लोक चित्रकला और जनजातीय आभूषणों की प्रदर्शनी भी आकर्षण का केंद्र बनेगी।
उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति कला संस्कृति संस्थान के निदेशक डॉ.अतुल द्विवेदी ने बताया कि यह आयोजन केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि भारत की सामाजिक संस्कृति का जीवंत प्रतीक होगा, जहाँ विभिन्न जनजातियों के रहन-सहन, परंपरागत शिल्प, लोककला, लोक संगीत, और खानपान की विशिष्टता एक मंच पर प्रदर्शित की जाएगी। जनजातीय समाज की वन संस्कृति, प्रकृति के प्रति आस्था, सामाजिक सहयोग की परंपरा और आत्मनिर्भर जीवनशैली इस आयोजन की आत्मा होगी।
उद्घाटन सत्र में असम का बरदोईशिखला, ओडिशा का डुरुआ जनजाति नृत्य, महाराष्ट्र का लिंगो, मध्य प्रदेश का भगोरिया एवं गुदुमबाजा, उत्तर प्रदेश का बुक्सा, शैला, झीझी, मादल वादन, बिहार का संथाली आकर्षण का केन्द्र बनेंगे वहीं बीन वादन, जादू, रंगोली, नट नटी, बहुरूपिया की प्रस्तुति हुई।
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