
बरेली। बिजली विभाग की व्यवस्था की बिगड़ती हालत, आए दिन ट्रांसफार्मर फुंकना, घंटों की बिजली कटौती, और उपभोक्ताओं की बढ़ती शिकायतों के बीच आखिरकार मुख्य अभियंता ज्ञान प्रकाश को सख्त तेवर अपनाने पड़े।
- शत-प्रतिशत वसूली का अल्टीमेटम चेतावनी दी, अब नतीजे दिखाओ या कार्रवाई झेलोचीफ इंजीनियर का फटकार भरा संदेश- ‘कामचोरी नहीं चलेगी, हर हाल में चाहिए पूरा राजस्व’
- ‘फील्ड में उतरकर सुधार करो, कुर्सी बचानी है तो परिणाम दो’ अफसरों को दो टूक फरमान
शनिवार को विद्युत मुख्य अभियंता कार्यालय सभागार में हुई समीक्षा बैठक में उन्होंने सीधे-सीधे शब्दों में कहा, “अब लापरवाही नहीं चलेगी, शत-प्रतिशत राजस्व वसूली होनी चाहिए, वरना जवाब देने को तैयार रहो।”बैठक में ग्रामीण वितरण खंड के अधीक्षण अभियंता से लेकर अवर अभियंता (जेई) तक सभी को कठघरे में खड़ा कर दिया गया।
मुख्य अभियंता ने स्पष्ट किया कि विभाग की छवि लगातार खराब हो रही है। गांवों में ट्रांसफॉर्मर महीनों खराब रहते हैं, उपभोक्ताओं को घंटों बिजली नहीं मिलती, और ऊपर से अधिकारी राजस्व वसूली में कोताही बरत रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अब “सिर्फ मीटिंगों में आंकड़े दिखाने” से काम नहीं चलेगा, ज़मीनी सच्चाई बदलनी होगी।
ज्ञान प्रकाश ने बैठक में यह भी निर्देश दिया कि ट्रांसफॉर्मर खराब होने की घटनाएं अब सहन नहीं की जाएंगी। उन्होंने कहा, “हर महीने लाखों रुपये ट्रांसफार्मर रिपेयरिंग में झोंके जाते हैं, फिर भी ग्रामीण इलाकों में तीन-तीन दिन तक बिजली नहीं रहती। इससे जाहिर होता है कि अधिकारी या तो निकम्मे हैं या मिलीभगत में हैं।” उन्होंने प्रोटेक्शन सिस्टम की मरम्मत शीघ्र पूरी करने का आदेश देते हुए कहा कि इस महीने से ट्रांसफॉर्मर खराब होने की संख्या शून्य होनी चाहिए।
इसके साथ ही उन्होंने विद्युत चोरी रोकने के लिए सघन चेकिंग अभियान चलाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा, “जो उपभोक्ता चोरी कर रहे हैं, उन पर शिकंजा कसो। और अगर कोई जेई या लाइनमैन मिलीभगत में पकड़ा गया, तो उसे तुरंत सस्पेंड किया जाएगा।”
मुख्य अभियंता ने यह भी साफ किया कि विभाग की सबसे बड़ी कमजोरी है- ‘घमंडी और असंवेदनशील रवैया’। उपभोक्ता जब शिकायत लेकर कार्यालय आते हैं, तो उन्हें भगा दिया जाता है या बदतमीजी की जाती है। उन्होंने कहा,“आप लोग सरकारी सेवक हैं, राजा नहीं। उपभोक्ता को जवाब देना आपकी ड्यूटी है। अगर कोई उपभोक्ता शिकायत लेकर आए, तो उसे तुंरत सुनो, समाधान दो और भाषा में मर्यादा रखो। वरना जनता से पहले मैं ही कार्रवाई करूंगा।”
बैठक में अधीक्षण अभियंता ज्ञानेन्द्र सिंह, अधिशासी अभियंता अनुज गुप्ता, मनोज कुमार, हरीश कुमार, विश्वास कुमार, चमन प्रकाश, धर्मराज सिंह समेत तमाम वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। सबने अपनी-अपनी उपलब्धियों की लिस्ट गिनाई, लेकिन ज़मीनी हकीकत ये है कि बरेली के कई ग्रामीण क्षेत्र अब भी बगैर बिजली के जी रहे हैं। राजस्व वसूली का हाल ये है कि करोड़ों रुपये बकाया हैं, और मीटर रीडिंग व बिलिंग में भारी गड़बड़ियां चल रही हैं।
ग्रामीण इलाकों में उपभोक्ता बिजली कटौती, फुंके ट्रांसफॉर्मर, और मनमाने बिलों से त्रस्त हैं। लेकिन विभागीय अधिकारियों की प्राथमिकता इन समस्याओं को हल करना नहीं, बल्कि हर महीने आंकड़े सुधारने की जुगत लगाना है। मीटिंगों में बड़ी-बड़ी बातें होती हैं, लेकिन धरातल पर कोई ठोस सुधार नहीं नजर आता।
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