चंडीगढ़ : बदल जाएगा मेयर चुनाव का तरीका, सीक्रेट बैलेट से नहीं इस तरह पार्षद करेंगे वोट

चंडीगढ़। अगले साल होने वाले मेयर चुनाव की मतदान प्रक्रिया में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। क्रॉस वोटिंग और वोट खराब होने की समस्या को रोकने के लिए अब पार्षद हाथ उठाकर मतदान करेंगे। इस संबंध में एक ड्राफ्ट तैयार कर प्रशासक गुलाबचंद कटारिया को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। यह फैसला प्रशासक के निर्देश पर लिया गया है।

वर्तमान में, नगर निगम के पार्षद गुप्त बैलट पेपर से मतदान करते हैं। इस प्रणाली का फायदा क्रॉस वोटिंग करने वालों को मिलता रहा है। इस साल भी तीन वोटों की क्रॉस वोटिंग के कारण भाजपा की हरप्रीत कौर बबला चुनाव जीत गई थीं। सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में भी एक वोट क्रॉस हुआ था।

नई प्रणाली में, पार्षद उम्मीदवार को हाथ उठाकर अपना वोट देंगे। इससे मतदान में पारदर्शिता आएगी और क्रॉस वोटिंग पर लगाम लगेगी। जिस राजनीतिक दल के पार्षदों की संख्या सबसे ज्यादा होगी, उसे इस प्रणाली का फायदा मिलेगा। अगर कोई पार्षद विपक्षी दल के उम्मीदवार को वोट देना चाहता है, तो उसे सबके सामने खुलकर समर्थन करना होगा।

इससे पार्षदों की अपने राजनीतिक दलों के प्रति जवाबदेही बढ़ेगी और क्रॉस वोटिंग के बदले दिए जाने वाले प्रलोभनों पर भी रोक लगेगी। हाथ उठाकर समर्थन करने से जोड़-तोड़ की राजनीति भी खत्म हो जाएगी।

यह ध्यान देने योग्य है कि सदन पहले ही हाथ उठाकर वोट डालने पर प्रस्ताव पास कर चुका है। इसलिए, प्रशासन को नगर निगम से फिर से मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं है। प्रशासन के अनुसार, एक्ट में बदलाव करना है, इसलिए शहरवासियों के सुझाव लेने की भी जरूरत नहीं है।

प्रशासन मेयर का कार्यकाल भी ढाई साल करना चाहता है। इस मुद्दे पर भी प्रशासक के स्तर पर चर्चा हो चुकी है, लेकिन इसके लिए लोकसभा की मंजूरी चाहिए, जिसमें लंबा समय लगेगा। वर्तमान में, चंडीगढ़ में मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का कार्यकाल 1 साल का होता है।

प्रशासक इस साल ही हाथ उठाकर मतदान करने के पक्ष में थे, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि इतनी जल्दी एक्ट में बदलाव करना संभव नहीं है। इसलिए, इस मुद्दे पर अगली बार काम करने के लिए अधिकारियों को कहा गया है।

स्थानीय निकाय सचिव के माध्यम से ड्राफ्ट प्रशासक को गवर्नर हाउस भेजा जाएगा। उम्मीद है कि जून महीने तक अध्ययन और चर्चा के बाद मंजूरी मिल जाएगी। यह बदलाव चंडीगढ़ के मेयर चुनाव में पारदर्शिता लाने और क्रॉस वोटिंग पर अंकुश लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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