
Milkipur, Ayodhya : आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के 27वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रदेश की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी व आत्मनिर्भरता के लिए ड्रोन दीदी योजना की शुरुआत की गई है। देशभर में महिलाओं को ड्रोन से दवा छिड़काव और फसलों की निगरानी के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। आज महिलाएँ नवाचार को अपनाकर कृषि के क्षेत्र में एक नई पहचान बना रही हैं। कुलाधिपति ने कहा कि हमारा देश गरीब है और सबके पास हुनर है, लेकिन इसका उपयोग कोई नहीं करता। कई वर्षों से महिलाएँ अपने घर का कार्य करने के बाद बाहर निकलती हैं, सीखती हैं, बनाती हैं और बाजारों तक पहुँचाती हैं। महिलाओं द्वारा उत्कृष्ट कार्यों के लिए आज उनका सम्मान भी हुआ है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में महिलाओं को जोड़ने से एक बड़ा फायदा होता है और बच्चे कुपोषण से मुक्त होते हैं। यह पहला कृषि विश्वविद्यालय है, जिसे नैक में A++ प्राप्त हुआ है। कुलाधिपति ने विश्वविद्यालय के कुलपति व शिक्षकों को बधाई दी। उन्होंने एनआईआरएफ रैंकिंग में कृषि विश्वविद्यालय के शामिल होने पर प्रसन्नता जताई। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय को विश्व रैंकिंग के लिए तैयारी करनी होगी। हमारे देश के किसान एवं वैज्ञानिक देश व विदेशों में जाकर मार्गदर्शन करें। कुलाधिपति ने कहा कि विकसित भारत का सपना तभी सफल होगा, जब कृषि के क्षेत्र में भारत सशक्त बनेगा। किसानों की आय बढ़ाने और उचित मूल्य दिलाने का हमेशा प्रयास करना होगा। विश्वविद्यालय की विकसित 200 प्रजातियाँ केवल अन्य के दाने नहीं हैं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को साकार करने वाले बीज हैं। वर्तमान समय में किसानों को जैविक पद्धति से खेती करने की जरूरत है। भारत दूध का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। बाजरे के उत्पादन में हमारा देश विश्व में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। चावल और गेहूँ के उत्पादन में हम दूसरे स्थान पर हैं। कुलाधिपति ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में सभी के लिए अपार संभावनाएँ हैं।
कार्यक्रम के शुभारंभ से पूर्व कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने आचार्य नरेंद्र देव की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। कार्यक्रम का शुभारंभ सभी अतिथियों ने राष्ट्रगान और विश्वविद्यालय कुलगीत के साथ किया। कुलपति ने सभी अतिथियों को पौधे भेंट कर उनका स्वागत किया। पर्यावरण एवं जल संरक्षण विषय पर गोद लिए गाँव के बच्चों ने भाषण व गीत प्रस्तुत किए। कुलपति ने सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया। मंच का संचालन डॉ. सीताराम मिश्रा ने किया। इस अवसर पर प्रबंधन परिषद के सदस्य, कमिश्नर अयोध्या, जिलाधिकारी सुल्तानपुर, जिलाधिकारी अयोध्या, विश्वविद्यालय के समस्त अधिष्ठाता, निदेशक, विभागाध्यक्ष एवं पदक व उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राएँ मौजूद रहे।

मिट्टी की घटती उर्वरता कृषि उत्पादकता के लिए बड़ा खतरा: डॉ. साइमन हेक
अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र, लीमा, पेरू के महानिदेशक डॉ. साइमन हेक ने बतौर मुख्य अतिथि अपने उद्बोधन में कहा कि जहाँ “जनता” किसी राष्ट्र की संपदा का प्रतिनिधित्व करती है, वहीं “युवा” वास्तव में उसका छिपा हुआ खजाना है। शैक्षणिक संस्थान समर्पित शिक्षा और प्रशिक्षण के माध्यम से इन युवा मस्तिष्कों को आकार देते हैं, उनकी ऊर्जा और कौशल को उत्पादक पथों पर निर्देशित करते हैं। हम सब मिलकर चुनौतियों का सामना कर सकते हैं और प्रगति के पथ पर आत्मविश्वास से आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि पचास वर्ष पहले 10 अक्टूबर 1975 को महान समाजवादी, शिक्षाविद् और दूरदर्शी नेता आचार्य नरेंद्र देव के नाम पर स्थापित आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय एक दूरदर्शी स्वप्न से उभरा था। कृषि केवल लोगों का पेट भरने का काम ही नहीं करती, बल्कि यह अत्यधिक गरीबी को समाप्त करने और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के सबसे शक्तिशाली साधनों में से एक है। कृषि में वृद्धि, अन्य क्षेत्रों में समान मात्रा में होने वाली वृद्धि की तुलना में गरीबी कम करने में 2-3 गुना अधिक प्रभावी है और इसका प्रभाव समाज के सबसे गरीब लोगों पर सबसे अधिक पड़ता है। विश्व खाद्यान्न उत्पादन, जिसमें अनाज और मक्का, गेहूँ और चावल जैसे अन्य प्रमुख अनाज शामिल हैं, एक विशाल वैश्विक प्रयास है, जिसमें 2025-26 के लिए कुछ पूर्वानुमानों में अनाज का कुल उत्पादन 2,400 मिलियन टन से अधिक तक पहुँच जाएगा और इसमें चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत जैसे देशों का महत्वपूर्ण योगदान होगा।
डॉ. साइमन हेक ने कहा कि 2050 तक 9.1 अरब की विश्व जनसंख्या को भोजन उपलब्ध कराने के लिए 2025 और 2050 के बीच कुल खाद्य उत्पादन में 50 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि की आवश्यकता होगी। विकासशील देशों में उत्पादन लगभग दोगुना होना चाहिए, जिससे कृषि में एक संभावित परिवर्तन संभव हो सके। इसके लिए आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन में उल्लेखनीय प्रगति की आवश्यकता है। वार्षिक अनाज उत्पादन लगभग एक अरब टन बढ़ना चाहिए। मांस उत्पादन में 20 करोड़ टन से अधिक की वृद्धि की आवश्यकता है, जो 2050 तक कुल 47 करोड़ टन तक पहुँच जाएगा, जिसमें विकासशील देशों में इस वृद्धि का 72 प्रतिशत हिस्सा शामिल होगा, जो वर्तमान में 58 प्रतिशत है। जलवायु परिवर्तन अब कोई दूर का खतरा नहीं, बल्कि एक दैनिक वास्तविकता बन गया है। बढ़ता तापमान, अनियमित वर्षा और मृदा क्षरण खाद्य उत्पादन की नींव को ही चुनौती दे रहे हैं। भारत अगली कृषि क्रांति का नेतृत्व करने के लिए अद्वितीय स्थिति में है।
डॉ. हेक ने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक दुर्जेय दुश्मन के रूप में सामने आ रहा है। मृदा स्वास्थ्य एक और गंभीर चिंता का विषय है। दशकों से चली आ रही गहन खेती और रासायनिक उर्वरकों पर अत्यधिक निर्भरता ने मृदा की उर्वरता को गंभीर रूप से कमजोर कर दिया है। अध्ययनों से पता चलता है कि भारत की लगभग 40 प्रतिशत कृषि भूमि अपनी उर्वरता खो रही है। यह स्थिति भविष्य की कृषि उत्पादकता के लिए खतरा है। इससे निपटने के लिए, हमें मृदा स्वास्थ्य को बहाल करने और दीर्घकालिक उत्पादकता सुनिश्चित करने के लिए फसल चक्र और जैविक खेती जैसी स्थायी कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना होगा। जलसंकट एक भयावह चुनौती है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ड्रिप सिंचाई तकनीक अपनाने से पानी का उपयोग 60 प्रतिशत तक कम हो सकता है।
उत्तर प्रदेश में कृषि एक प्रमुख व्यवसाय है, जो भारत के कृषि परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह राज्य देश की खाद्य आपूर्ति में लगभग 20 प्रतिशत खाद्यान्न के रूप में योगदान देता है, जिसमें भारत के गेहूँ का लगभग 28 प्रतिशत और चावल का 12 प्रतिशत उत्पादन उल्लेखनीय है। आर्थिक प्रभाव की दृष्टि से कृषि उत्तर प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 25 प्रतिशत है। विश्वविद्यालय को नैक में उच्च ग्रेड प्राप्त होने पर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों, शिक्षकों, छात्रों और नेतृत्व को बधाई दी। विश्वविद्यालय ने 43 विभिन्न प्रकार की फसलों की 202 किस्में विकसित कीं, जिन्हें राज्य और पूरे देश में काफी लोकप्रियता मिली है। सुगंधित चावल की किस्में, पूसा नरेंद्र काला नमक-1 और पूसा नरेंद्र काला नमक-2, को शामिल किया गया है, जिन्होंने काफी ध्यान आकर्षित किया है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में विश्वविद्यालय 26 जिलों में 25 कृषि विज्ञान केंद्र संचालित करता है, जो कृषि क्षेत्र और कृषक समुदायों के लिए महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। विश्वविद्यालय प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और नवाचार में अग्रणी है और किसानों की आय दोगुनी करने (डीएफआई) के लक्ष्य में सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है। किसी भी राष्ट्र का भविष्य उसके युवाओं और उन्हें पोषित करने वाले संस्थानों के हाथों में होता है।
सात ट्रिलियन तक पहुँची उत्तर प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था: राज्यमंत्री
विशिष्ट अतिथि के रूप में कृषि, शिक्षा एवं अनुसंधान राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख ने कहा कि स्थायी कृषि एवं आजीविका सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए हमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग कम करके जैविक खेती को बढ़ावा देना होगा। जल संसाधनों के अधिकतम और कुशल उपयोग के लिए ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर जैसी सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा देना होगा। राज्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2023-24 में, उत्तर प्रदेश ने 6.68 करोड़ टन (लगभग 66.8 मिलियन टन) खाद्यान्न का उत्पादन किया, जो भारत के कुल खाद्यान्न उत्पादन का लगभग 18.14% है। भारत का लगभग 30.84% गेहूँ, 14% चावल, 33% आलू, 47.30% गन्ना, 9.24% दलहन और 6.12% तिलहन राज्य द्वारा उत्पादित किया जाता है। देश का 9.52% फल उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है। उन्होंने कहा कि यह राज्य भारत में सबसे बड़ा सब्जी उत्पादक है, जो देश के कुल सब्जी उत्पादन में लगभग 16% का योगदान देता है। पिछले आठ वर्षों में, उत्तर प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था तीन गुना से भी ज्यादा बढ़कर 2024-25 में लगभग 7 ट्रिलियन रुपये तक पहुँच गई है, जो 2016-17 में 2 ट्रिलियन रुपये थी। इस वृद्धि को मजबूत खाद्यान्न उत्पादन का समर्थन प्राप्त है, जो 2024-25 में 73.7 मिलियन टन तक पहुँच गया है। उत्तर प्रदेश 388 लाख टन दूध का उत्पादन करके भारत में प्रथम स्थान पर है। मत्स्य उत्पादन में वर्ष 2023-24 में 26.4% की वृद्धि हुई है। इसमें विश्वविद्यालय का भी बहुत बड़ा योगदान है। राज्यमंत्री औलख ने कहा कि विश्वविद्यालय पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने में शानदार काम कर रहा है। इस वर्ष विश्वविद्यालय को प्राकृतिक खेती का नोडल सेंटर नियुक्त किया गया है, इससे पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिलेगा। गत वर्ष इस विश्वविद्यालय को NAAC में सर्वोच्च ग्रेड A++ प्राप्त हुआ था और इस वर्ष NIRF 2025 में रैंकिंग हासिल कर फिर से कृषि के क्षेत्र में अपनी उत्कृष्टता का प्रदर्शन किया है।

छह वर्षों में विश्वविद्यालय का हुआ चहुँमुखी विकास: कुलपति
कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह ने अपने प्रतिवेदन को सबके समक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क 2025 में शामिल होने वाला राज्य का एकमात्र कृषि विश्वविद्यालय है। 27वें दीक्षांत समारोह में इस बार उपाधियाँ व पदक पाने वाले छात्र-छात्राओं में 50 प्रतिशत महिलाएँ शामिल हैं। कृषि शिक्षा के प्रति महिलाओं का कदम तेजी से बढ़ा है। वर्तमान सत्र 2025-26 में 17 नए डिप्लोमा पाठ्यक्रमों की शुरुआत की गई है। विश्वविद्यालय द्वारा फलों, मसालों और सब्जियों की कुल 13 नई प्रजातियाँ विकसित की गईं। पिछले एक वर्ष में वेस्टर्न सिडनी विश्वविद्यालय, किंग मॉन्गकुट इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी थाईलैंड सहित 23 प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। कुलपति ने बताया कि इस वर्ष विश्वविद्यालय को प्राकृतिक खेती का नोडल सेंटर नियुक्त किया गया। 22वाँ राष्ट्रीय खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन इस बार कृषि विश्वविद्यालय अयोध्या में हुआ, जिसमें 24 राज्यों के कुल 56 विश्वविद्यालयों के खिलाड़ियों ने प्रतिभाग किया। तीन-तीन खेलों में एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीतकर कृषि विश्वविद्यालय की आँचल ठाकुर ने देशभर में विश्वविद्यालय का मान बढ़ाया। विश्वविद्यालय ने विभिन्न जगहों के 100 टीबी मरीजों को गोद लिया है। विश्वविद्यालय द्वारा 10 एकड़ क्षेत्र में प्राकृतिक एवं जैविक खेती कराई जा रही है। उत्तर प्रदेश को बिहार की तर्ज पर मखाना उत्पादक राज्य बनाने की तैयारी के लिए आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय तेजी से कार्य कर रहा है। उन्होंने अपने प्रतिवेदन के माध्यम से बताया कि इस बार हमारा विश्वविद्यालय क्यूएस एशिया रैंकिंग में भी प्रतिभाग करने जा रहा है और उन्हें पूर्ण विश्वास है कि इसमें भी विश्वविद्यालय अपना स्थान बनाने में सफल होगा।
कुलाधिपति ने किया आधा दर्जन पुस्तकों का विमोचन
कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल व अन्य अतिथियों ने 27वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर आधा दर्जन पुस्तकों का विमोचन किया। इसमें स्मारिका, वार्षिक रिपोर्ट 2024-25, पूर्वांचल खेती, योग थेरेपी, महिला अध्ययन आदि पुस्तकों के नाम शामिल हैं।
विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता छात्र-छात्राओं को राज्यपाल ने किया सम्मानित
दीक्षांत समारोह के अवसर पर प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों के बीच आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेता छात्र-छात्राओं को कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने स्कूल बैग और फल देकर सम्मानित किया। साथ ही, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को आंगनबाड़ी किट देकर शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित किया।
पाँच प्रगतिशील किसान भी सम्मानित
27वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने विभिन्न जनपदों से पहुँचे पाँच प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया। इसमें रोशनगढ़, अंबेडकर नगर की कांती देवी को प्राकृतिक खेती एवं सब्जी नर्सरी उत्पादन, मड़िया, वाराणसी की सुमन देवी को पशुपालन, श्रीअन्न प्रसंस्करण कार्य, लाडनपुर, मऊ के आशीष कुमार राय को दलहन-तिलहन एवं अनाज उत्पादन, बक्शा, जौनपुर की दुर्गा मौर्या को कृषक उत्पादन संगठन के संचालन और रजौली, बाराबंकी के निमित कुमार सिंह को मधुमक्खी पालन एवं शहद उत्पादन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए राज्यपाल ने अपने हाथों से सम्मानित किया।
बॉक्स 100 कार्यकर्ताओं को दी गई आंगनबाड़ी किट दीक्षांत समारोह के अवसर पर सुल्तानपुर जनपद के धनपतगंज और बल्दीराय ब्लॉक की कुल 100 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने आंगनबाड़ी किट प्रदान की। इस दौरान उन्होंने आंगनबाड़ी के बच्चों के लिए ट्राइसाइकिल, किताबें, झूले वाले घोड़े, एजुकेशनल मैप, फल, बॉल आदि प्रदान किए।
बॉक्स सात लोगों को मिला उत्कृष्ट शिक्षक का सम्मान
दीक्षांत समारोह के अवसर पर कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कृषि विश्वविद्यालय के उत्कृष्ट कार्य करने वाले सात शिक्षकों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। सम्मानित होने वालों में मत्स्यकी महाविद्यालय के डॉ. शशांक सिंह, महामाया, अंबेडकर नगर के डॉ. मनीष कुमार, उद्यान एवं वानिकी महाविद्यालय के डॉ. आशीष कुमार सिंह, सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय की डॉ. प्रज्ञा पांडेय, कृषि महाविद्यालय के समीर कुमार सिंह, कृषि महाविद्यालय, आजमगढ़ के डॉ. विनोद कुमार तथा पशु चिकित्सा महाविद्यालय के डॉ. नवीन कुमार सिंह शामिल हैं।
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