लोहाघाट। चंपावत जिले का आवेश एवं परिवेश बदलने एवं मैदानी क्षेत्र से चंपावत एवं पिथौरागढ़ की दूरी कम होने के साथ यहां के लोगों के संघर्ष भरे जीवन में काफी बदलाव आया है। यह बात 31 वर्ष पूर्व पिथौरागढ़ जिलाधिकारी के रूप में अपनी विशिष्ट कार्यसंस्कृति की छाप छोड़कर गए डॉ. अनूप पांडे ने कहीं।
उस समय चंपावत, पिथौरागढ़ जिले की तहसील हुआ करती थी। यूपी के कुशल मुख्य सचिव एवं भारत के चुनाव आयुक्त पद से रिटायर हुए डॉ. पांडे यहां अपने रिश्तेदार मायावती रोड स्थित आयकर के डीजी रह चुके आरसी शर्मा के यहां आए हुए हैं।
उनका कहना है कि मैदानों में आज आग उगलती गर्मी ने अब पहाड़ से पलायन कर चुके लोगों को अपने पूर्वजों की माटी से जुड़ने के लिए विवश कर दिया है। आने वाले समय में भले ही वे गर्मियों में यहां पर्यटक के रूप में यहां तीन-चार महीने का समय बिताने के लिए आएं, वह अपने घरों को ठीक-ठाक करने का इरादा बना चुके हैं। ऐसा उन्हें स्वयं यहां के मैदानी क्षेत्रों में रह रहे लोगों ने बताया।
उन्हें इस बात का मलाल है कि जिस नैनी सैनी हवाई अड्डे का उन्होंने उद्घाटन कराया था, आज तक उसमें नियमित उड़ने नहीं हो पा रही हैं। यहां आधारभूत सुविधाओं का विस्तार होने के साथ पर्यटन, धार्मिक पर्यटन एवं इको टूरिज्म के विकास व रोजगार के नए द्वार खुल गए हैं। डॉ पांडे ने विकास के साथ पानी एवं पैडों के संरक्षण पर विशेष जोर देते हुए कहा कि इन दोनों का कोई विकल्प नहीं है।
डॉ पांडे को तीन दशक पूर्व के अपने कार्यकाल की घटनाओं की पूरी याद है। वर्ष 1993 में आई भीषण आपदा का ऐसा समय था, जब उन्होंने स्वयं रोड खोलने के लिए बेलचा व फावड़ा चलाकर श्रमदान में लगे लोगों का उत्साह बढ़ाया।