
गोपेश्वर (चमोली) : हिमस्खलन की घटनाओं से रैणी जैसी त्रासदी दोबारा न हो, इसके लिए विष्णुप्रयाग जल विद्युत परियोजना की निर्माण कंपनी जेपी ने ग्लेशियर प्वाइंट के समीप सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम शुरू कर दिया है। बर्फबारी के बाद इन कैमरों से सतत निगरानी की जाएगी और इन्हें सैटेलाइट तकनीक के माध्यम से संचालित किया जाएगा।
चमोली जिले की नीती घाटी में 7 फरवरी 2021 को हिमस्खलन की घटना हुई थी, जिससे धौली गंगा पर स्थित ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना मलबे में दफन हो गई थी और तपोवन के विष्णुगाड-तपोवन परियोजना की निर्माणाधीन टनल में भी मलबा घुस गया था। इस आपदा में मजदूरों, इंजीनियरों और कर्मचारियों को संभलने का मौका नहीं मिला। इस घटना से सबक लेते हुए एनटीपीसी ने टनल साइड चेतावनी अलार्म सिस्टम को मजबूत किया था।
अब माणा घाटी में पांडुकेश्वर से लगभग तीन किलोमीटर दूरी पर अलकनंदा नदी पर जेपी कंपनी की जल विद्युत परियोजना का बैराज स्थित है। नदी के उद्गम स्थल पर अक्सर हिमस्खलन की घटनाएं होती रहती हैं, जिससे नदी का जलस्तर बढ़ जाता है। रैणी जैसी आपदा से बचने के लिए जेपी कंपनी ने माणा, बसुधारा, हनुमानचट्टी, खीरों नदी और घस्तोली में सीसीटीवी कैमरे स्थापित करने की योजना बनाई है और कुछ स्थानों पर इसका काम भी शुरू कर दिया गया है।
ज्योतिर्मठ के एसडीएम चंद्रशेखर वशिष्ठ ने बताया कि अलकनंदा के उद्गम स्थल से लेकर परियोजना के बैराज तक कई जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं। इसके लिए सर्वे टीम ने स्थानों का चयन किया है। इसका मुख्य उद्देश्य परियोजना कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और संभावित नुकसान को कम करना है।
ऋषिगंगा के उद्गम स्थल से हुए हिमस्खलन की घटना आज भी लोगों की आंखों में तैरती है। उस दिन धौली गंगा में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई थी और इस त्रासदी में 200 से अधिक लोग अपनी जान गंवा बैठे थे। तपोवन के संदीप नौटियाल ने बताया कि धौली गांव में पानी का सैलाब देखकर हर तरफ चीख-पुकार मच गई थी।















