
- भारत-नेपाल मैत्री महोत्सव का भव्य आयोजन
महराजगंज। भारत और नेपाल के बीच सांस्कृतिक एवं पारंपरिक संबंधों को और प्रगाढ़ करने के उद्देश्य से एक दिवसीय भारत-नेपाल मैत्री महोत्सव का भव्य आयोजन पीजी कॉलेज, महराजगंज में किया गया। इस महोत्सव में दोनों देशों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को लोक नृत्य, पारंपरिक परिधान, बैंड शो और लोक रंग के माध्यम से प्रस्तुत किया गया, जिसने दर्शकों का मन मोह लिया।
इस आयोजन में गोरखपुर, नेपाल, बुंदेलखंड समेत उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए बच्चों ने अपनी अद्भुत प्रस्तुतियों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। बच्चों द्वारा प्रस्तुत किए गए पारंपरिक नृत्यों और गीतों ने दोनों देशों की साझा संस्कृति को जीवंत बना दिया। नेपाल के कलाकारों ने तामांग सेलो, मारुनी, झ्याउरे नृत्य प्रस्तुत किए, जबकि भारतीय कलाकारों ने ठुमरी, बिरहा, अवधी लोकगीत और भोजपुरी नृत्य की शानदार झलक पेश की।
इस महोत्सव में बैंड शो, पारंपरिक वाद्ययंत्रों की धुनें, नाटक, एवं सांस्कृतिक झांकियों ने भी विशेष आकर्षण बटोरा। कलाकारों के पारंपरिक परिधानों ने इस आयोजन को और भी रंगीन और भव्य बना दिया। दर्शकों ने भारत और नेपाल की लोक संस्कृतियों के संगम को बड़े उत्साह के साथ सराहा। कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ राजेश अहिरवार,उप निदेशक संस्कृति विभाग-लखनऊ, रामु जोशी, निदेशक पर्यटन विभाग- लुम्बिनी नेपाल के साथ भाजपा जिलाध्यक्ष संजय पाण्डेय, सदर विधायक जयमंगल कन्नौजिया ने किया ।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राजेश अहिरवार,उप निदेशक संस्कृति विभाग-लखनऊ अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत और नेपाल का संबंध केवल भौगोलिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक रूप से भी अत्यंत घनिष्ठ है। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों से दोनों देशों के बीच आपसी भाईचारे और सौहार्द को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा, “भारत और नेपाल की संस्कृति हजारों वर्षों से एक-दूसरे से जुड़ी हुई है।

लोक कलाएं, परंपराएं और रीति-रिवाज हमारे समाज की धरोहर हैं। ऐसे महोत्सव युवा पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण माध्यम हैं।” उन्होंने दोनों देशों के प्रतिभागी कलाकारों की प्रशंसा की और उन्हें प्रोत्साहित किया कि वे अपनी कला को आगे बढ़ाते रहें। रामु जोशी निदेशक पर्यटन विभाग- लुम्बिनी नेपाल ने बताया लोक कला और संगीत हमारी सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उन्होंने भारत-नेपाल के सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए इस तरह के आयोजनों की आवश्यकता पर बल दिया और भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने की अपील की। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भारत और नेपाल के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करना और नई पीढ़ी को इस समृद्ध परंपरा से जोड़ना था। इस आयोजन में शिक्षा, प्रशासन और सांस्कृतिक संगठनों के प्रतिनिधियों की भागीदारी भी देखने को मिली। महोत्सव में भाग लेने वाले बच्चों और कलाकारों को सम्मानित भी किया गया, जिससे उनका उत्साहवर्धन हुआ।
भारत-नेपाल मैत्री महोत्सव दोनों देशों के मैत्रीपूर्ण संबंधों को और मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ। इसने न केवल सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित किया, बल्कि लोगों के बीच आपसी भाईचारे की भावना को भी सुदृढ़ किया।












