देशभर के सीबीएसई स्कूलों को मानने होंगे ये नए नियम, नहीं माने तो बढ़ेंगी मुश्किलें

CBSE New Guidelines 2025: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड CBSE ने देश के सभी संबद्ध स्कूलों के लिए एक नई और सख्त गाइडलाइंस जारी की है। यह दिशा-निर्देश स्कूलों की कक्षा संरचना, भवन क्षेत्र और बुनियादी सुविधाओं को लेकर हैं। इन नियमों का पालन केवल नए स्कूलों को ही नहीं, बल्कि पहले से मान्यता प्राप्त सभी स्कूलों को भी करना अनिवार्य होगा। बोर्ड का उद्देश्य है शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और छात्रों के लिए बेहतर व सुरक्षित वातावरण तैयार करना।

स्कूल का क्षेत्रफल तय करेगा कक्षा की संख्या

CBSE की नई नीति के अनुसार अब किसी भी स्कूल में कक्षा 1 से 12 तक चलने वाले कुल सेक्शनों की संख्या स्कूल के बिल्ट-अप एरिया पर निर्भर होगी।

स्कूल जितना बड़ा होगा, उतनी ही अधिक कक्षाएं चल सकेंगी।

विशेष बात यह है कि कक्षा 9-10 और 11-12 के सेक्शनों की संख्या स्कूल की कुल सेक्शनों की संख्या के 1/4 से अधिक नहीं हो सकती। उदाहरण: यदि किसी स्कूल में कुल 20 सेक्शन हैं, तो 9वीं से 12वीं तक कुल 5 सेक्शन ही हो सकते हैं।
हर 3 अतिरिक्त सेक्शनों के लिए कम से कम 400 वर्ग मीटर अतिरिक्त कारपेट एरिया अनिवार्य होगा।
इस बदलाव का मकसद है स्कूलों में भीड़भाड़ को रोकना और हर छात्र को पर्याप्त स्थान देना।


नई गाइडलाइंस: बुनियादी ढांचे पर ज़ोर

CBSE ने स्कूलों के लिए न्यूनतम अनिवार्य सुविधाओं की एक सूची जारी की है

पुस्तकालय: हर स्कूल में कम से कम 112 वर्ग मीटर का पुस्तकालय होना चाहिए। लैब्स

कक्षा 6-10 के लिए विज्ञान, गणित और कंप्यूटर लैब्स अनिवार्य।

कक्षा 11-12 के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी लैब्स जरूरी। इनफर्मरी वेलनेस रूम

48 वर्ग मीटर का हेल्थ रूम हर स्कूल में अनिवार्य होगा।सांस्कृतिक और खेल गतिविधियाँ

स्कूल में कम से कम 216 वर्ग मीटर का मल्टीपर्पज हॉल या

संगीत, कला, नृत्य और खेल के लिए चार अलग-अलग कमरे होने चाहिए।

क्यों जरूरी है यह कदम

CBSE का मानना है कि आज के समय में केवल किताबों तक सीमित शिक्षा पर्याप्त नहीं है। टेक्नोलॉजी, प्रयोगात्मक शिक्षा और क्रिएटिव लर्निंग पर ज़ोर देना ज़रूरी है।
ये नई गाइडलाइंस स्कूलों को उसी दिशा में प्रेरित करेंगी और छात्रों को बेहतर माहौल मिलेगा।

इसका असर क्या होगा

छोटे स्कूलों को अपना बिल्डिंग एरिया बढ़ाना पड़ सकता है।

बड़े स्कूलों को सुविधाएं और संसाधन दुरुस्त करने होंगे।

माता-पिता को इस बात की गंभीरता से तसल्ली होगी कि उनके बच्चे अब और भी बेहतर माहौल में पढ़ाई करेंगे।

स्कूल प्रबंधन के लिए ये नियम एक चुनौती की तरह होंगे, लेकिन दीर्घकाल में छात्रों और समाज दोनों के लिए फायदेमंद साबित होंगे।

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