जिले के युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के मामले में पुलिस ने कांग्रेस नेता और ठेकेदार सुरेश चंद्राकर काे हैदराबाद से गिरफ्तार कर लिया है, इससे पहले उसके दो भाई रितेश चंद्राकर और दिनेश चंद्राकर एवं एक मजदूर को गिरफ्तार किया है। बीजापुर पुलिस ने रितेश चंद्राकर को गिरफ्तार करने के साथ उसकी गाड़ी को भी रायपुर से जब्त किया है। रितेश ने फरार होने के लिए थार गाड़ी की नंबर प्लेट बदल ली थी। गाड़ी में सीजी-20- 3333 की जगह सीजी 4 पीके 1 नंबर प्लेट लगा दी थी। ऐसा कर वो पुलिस को गुमराह करना चाह रहा था।
इधर घटना के विरोध में बीजापुर जिला मुख्यालय पूरी तरह से बंद है। आज शनिवार काे मुकेश चंद्राकर का अंतिम संस्कार बीजापुर के श्मशान घाट में कर दिया गया। इस दाैरान मुकेश चंद्राकर की अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में बस्तर संभाग के पत्रकार एवं स्थानीय लाेगाें सहित परिजनअंतिम यात्रा में शामिल हुए हैं। इस हत्या के बाद पत्रकारों में आक्रोश है,। पूरे संभाग से पत्रकार बीजापुर पहुंचे हैं, पत्रकाराें ने आज शनिवार सुबह बीजापुर राष्ट्रीय रजमार्ग 63 पर 4 घंटे तक सांकेतिक चक्काजाम किया। इसके बाद अंतिम यात्रा में शामिल हुए।
गाैरतलब है कि 1 जनवरी 2025 को शाम 7 बजे से मुकेश चंद्राकर घर से लापता हुए थे। अगले दिन 2 जनवरी को उनके भाई युकेश चंद्राकर ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। शिकायत के बाद पुलिस लगातार मुकेश के फोन को ट्रेस कर रही थी। फोन बंद होने की वजह से अंतिम लोकेशन घर के आस-पास का ही दिखा रहा था। सीसीटीव्ही फुटेज भी खंगाले गए, जिसमें अंतिम बार मुकेश टी-शर्ट और शॉर्ट्स में दिखे। वहीं पत्रकारों ने भी अलग-अलग जगह पता किया। जी मेल लोकेशन के माध्यम से लोकेशन ट्रेस किया गया, जिसमें मुकेश का अंतिम लोकेशन बीजापुर जिला मुख्यालय के चट्टानपारा में होना पाया गया।
यहीं पर मुकेश के रिश्तेदार (भाई) और ठेकेदार सुरेश चंद्राकर, रितेश चंद्राकर का बैडमिंटन कोर्ट परिसर है। यहां सेप्टिक टैंक में नया 4 इंच कंक्रीट से ढलाई किया गया था, सेप्टिक टैंक में चेंबर नहीं रखा था। अमूमन टैंक की सफाई के लिए एक हिस्से में चैंबर बनाया जाता है। यहां टैंक पूरी तरह से जब पैक दिखा तो शक हुआ। मुकेश के सगे भाई यूकेश समेत अन्य पत्रकारों ने इसकी जानकारी बीजापुर जिले के एसपी जितेंद्र यादव और बस्तर के आईजी सुंदरराज पी को दी। पुलिस की टीम को भी उस इलाके में पहुंची। पुलिस से टैंक तोड़वाने की मांग की गई, टैंक तोड़ते ही पानी में मुकेश की लाश मिली। शव को बाहर निकाला गया और पोस्टमॉर्टम के लिए शव को अस्पताल भिजवाया गया।
उल्लेखनीय है कि मुकेश की निर्ममता से हत्या करने के लिए पहले गला घोंटा गया, बाद में सिर पर कुल्हाड़ी मारी, इस हमले से मुकेश के सिर पर ढाई इंच गड्डा हो गया। नक्सली भी इसी तरीके से हत्या करते हैं। संभवतः हत्या के बाद जंगल में शव फेंककर नक्सली घटना बताने का प्रयास था, लेकिन भीड़-भाड़ वाला क्षेत्र होने से शव निकाल नहीं पाए। इसलिए सेप्टिक टैंक में शव डाल कर 4 इंच कंक्रीट से ढलाई कर दी गई।