
नई दिल्ली। लोकसभा में सोमवार को वंदे मातरम के 150 वर्ष पूर्ण होने पर विशेष चर्चा के दौरान एक दिलचस्प वाकया देखने को मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब सदन में संबोधन दे रहे थे, तभी उनकी और तृणमूल कांग्रेस सांसद सौगत रॉय के बीच हल्की नोकझोंक हो गई।
पीएम मोदी वंदे मातरम के रचयिता प्रख्यात बंगाली साहित्यकार बंकिम चंद्र चटर्जी का उल्लेख करते हुए उन्हें प्यार से ‘बंकिम दा’ कह रहे थे। लेकिन विपक्ष में बैठे सौगत रॉय ने तुरंत आपत्ति जताई। उन्होंने कहा—
“आप बंकिम दा कह रहे हैं, आपको बंकिम बाबू कहना चाहिए।”
इस पर प्रधानमंत्री ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया—
“धन्यवाद, मैं आपकी भावनाओं का सम्मान करता हूं। मैं बंकिम बाबू कहूंगा… लेकिन आपको दादा कह सकता हूं न, या इस पर भी आपत्ति है?”
यह सुनकर सदन में ठहाके गूंज उठे।
बंगाली संस्कृति में ‘दा’ यानी ‘दादा’ बड़ा या भाई जैसे सम्मानजनक संबोधन के रूप में प्रयोग होता है, मगर सौगत रॉय का मानना था कि किसी महान व्यक्तित्व के लिए ‘बाबू’ शब्द अधिक उचित है।
इसके बाद प्रधानमंत्री ने अपने पूरे वक्तव्य में ‘बंकिम बाबू’ का ही उपयोग किया और आजादी आंदोलन, आपातकाल, जिन्ना, बंगाल विभाजन सहित कांग्रेस की नीतियों पर तीखी टिप्पणियाँ कीं। उन्होंने आरोप लगाया कि —
“कांग्रेस ने वंदे मातरम के भी टुकड़े कर दिए।”
इस हल्के-फुल्के लेकिन राजनीतिक तंज़भरे संवाद ने सदन की चर्चा को और भी रोचक बना दिया।















