
- आईआरपी की तरफ से यह दिखाने का प्रयास है कि उन्होंने गुमराह नहीं किया या अपने सांविधिक कर्तव्यों को पूरा करने में विफल नहीं रहे
एडटेक फर्म बैजूस के पूर्व अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) ने आरोप लगाया है कि खेतान ऐंड कंपनी ने उन पर बैजूस की मूल फर्म थिंक ऐंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ जांच के लिए प्रक्रिया सलाहकार के रूप में ईवाई को चुनने के लिए दबाव डाला था। विस्तृत पत्र आईआरपी की तरफ से यह दिखाने का प्रयास है कि उन्होंने गुमराह नहीं किया या अपने सांविधिक कर्तव्यों को पूरा करने में विफल नहीं रहे।थिंक ऐंड लर्न के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया में पूर्व आईआरपी पंकज श्रीवास्तव ने भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) को भेजी गई 90 पृष्ठों की गोपनीय फाइलिंग में यही आरोप लगाया है।
इस साल जनवरी में श्रीवास्तव को इस मामले में आईआरपी की भूमिका से हटा दिया गया था क्योंकि नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने उन्हें कार्यवाही की देखरेख करने के लिए अयोग्य पाया था। एनसीएलएटी ने भी आईबीबीआई को उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया था।
भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) के प्रबंधक एवं जांच प्राधिकरण को भेजे गए गोपनीय दस्तावेज में श्रीवास्तव ने आरोप लगाया है कि मेसर्स खेतान ऐंड कंपनी (जीएलएएस के वकील) के अधिकारियों ने उनसे इस बारे में संपर्क किया कि कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) में जीएलएएस ट्रस्ट के दावे को किस तरह से निपटाया जाएगा। इस आधार पर कि वे ऋणदाताओं के समूह के अधिकृत प्रतिनिधि होने का दावा कर रहे हैं।
दस्तावेज में श्रीवास्तव ने आरोप लगाया है कि आईआरपी का पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद उन्हें जीएलएएस (जिनके पास उस समय आईआरपी को निर्देश जारी करने का कोई अधिकार नहीं था) और उनके वकीलों खेतान ऐंड कंपनी, किर्कलैंड ऐंड एलिस तथा ईवाई टीम के सहयोग से लगातार कई अनुचित निर्देश और संदेश प्राप्त हो रहे थे।
उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि खेतान ऐंड कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें थिंक ऐंड लर्न के सीआईआरपी के लिए अर्न्स्ट ऐंड यंग (ईवाईआईपीई) को प्रक्रिया सलाहकार के रूप में नियुक्त करना चाहिए।
श्रीवास्तव ने कहा कि उन्होंने इस पर अनिच्छा इसलिए जताई क्योंकि प्राइसवाटरहाउसकूपर्स की आईपीई (पीडब्ल्यूसी) पहले से ही एक अन्य बड़े मामले में आईआरपी को इसी प्रकार की सहायता प्रदान कर रही थी और इस मामले में सहायता के लिए उन्होंने अपना प्रस्ताव भी पेश किया था।
उन्होंने यह भी बताया कि ईवाई इस काम को पाने के लिए बेताब था और पेशेवर फीस पर बातचीत करने के लिए तैयार था। जब आईआरपी ने अपनी आईपीई सहायता सेवाओं के लिए 3,00,000 रुपये प्रति माह की फीस प्रस्तावित की, तो ईवाई ने तुरंत सहमति दे दी। यह तब हुआ जब पीडब्ल्यूसी की इसी तरह की सेवाओं के लिए 18,00,000 रुपये प्रति माह फीस थी।
श्रीवास्तव ने 90 पृष्ठ के दस्तावेज में आरोप लगाया है, अगर मैंने ईवाई को आईपीई के रूप में नियुक्त करने के लिए सहयोग नहीं किया, तो वे एक दिवाला पेशेवर के रूप में मेरी छवि को खराब कर देंगे। एक भविष्यवाणी जो मामले में आगे बढ़ने के साथ ही पूर्व नियोजित लगती है और ईवाई आईपीई के अलावा किसी अन्य के साथ जाना जीएलएएस के हित के लिए प्रतिकूल होगा, जो अंततः सीओसी (लेनदारों की समिति) में होगा और इस तरह सीआईआरपी को आगे बढ़ाएगा। अगर मैंने उनकी बात नहीं मानी तो इसके प्रतिकूल व्यक्तिगत परिणाम होंगे।
ईवाई ने एक ईमेल के जरिये भेजे बयान में कहा, हमारा मानना है कि प्रसारित किए जा रहे आरोप विश्वसनीय नहीं हैं और निराधार हैं। दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता एक विनियमित प्रक्रिया है, जहां संबंधित प्राधिकारियों के समक्ष शिकायत उठाने का प्रावधान है। यह भी महत्वपूर्ण है कि ईवीआई आईईपी ने नियुक्ति के लगभग एक महीने बाद सितंबर 2024 में आईआरपी के सलाहकार की अपनी भूमिका से इस्तीफा दे दिया था।