भांड़ाफोड़ : स्वामी प्रसाद मौर्य का निजी सचिव गिरफ्तार, नौकरी दिलाने का चला रहा था रैकेट

लखनऊ। योगी सरकार के पहले कार्यकाल में श्रम मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य का निजी सचिव अरमान अली सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने का रैकेट चला रहा था। STF ने गुरुवार को अरमान को गिरफ्तार किया है। सचिवालय से लेकर कई सरकारी विभागों तक फैले इस रैकेट से जुड़े कई नाम सामने आए हैं।

सचिवालय के अंदर तक पैठ बनाकर अरमान पूर्वांचल के कई शहरों के युवकों से करोड़ों रुपए ऐंठ चुका है। STF की छानबीन में इस रैकेट से जुड़े कुछ बड़े नामों का खुलासा भी हो सकता है।

सरकारी विभागों में बेखौफ करवाता था लड़कों की ट्रेनिंग

फर्जी नौकरियों के इस जाल की शुरुआत तीन साल पहले होती है। जब निजी सचिव अरमान अली अपने साथी फैजी को सचिवालय में काम दिलवाता है। फैजी डिजिटलाइजेशन का काम करने वाली कंपनी UV tech में वेंडर सप्लाई करता था। फैजी ने प्राइवेट लड़कों के जरिए बाल विभाग, रेशम विभाग, खाद्य एवं रसद विभाग में डिजिटलाइजेशन के काम पूरे कराए थे। सरकारी काम-काज और पत्रावलियों की उसे ठीक-ठाक जानकारी हो गई थी। अरमान ने फैजी को सचिवालय में ही एडजस्ट कराया।

रैकेट में फैजी का भाई सैफी संग विशाल भी शामिल

अब प्रदेश के अलग-अलग शहरों से आने वाले बेरोजगार युवकों को वो सचिवालय में ट्रेनिंग के बहाने लाने लगे। यहीं से युवकों में विश्वास की नींव भी पड़ जाती थी कि उन्हें मिलने वाली नौकरी की दिलासा बिल्कुल सही है। इस रैकेट में फैजी का भाई सैफी और विशाल गुप्ता भी शामिल था। विशाल खुद को मंत्री का नजदीकी बताता था। सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने का असली मास्टर माइंड विशाल ही बताया जा रहा है।

फर्जी वेबसाइट पर रिजल्ट करते थे अपलोड

गिरोह मे सबकी जिम्मेदारियां बंटी हुई थी। उसका एक और साथी स्वप्निल रेलवे की फर्जी वेबसाइट पर युवकों का रजिस्ट्रेशन और रिजल्ट अपलोड करता था। बहुत से सरकारी विभागों के नियुक्ति-पत्र और ब्लैंक चेक भी मिले हैं। यहां एक और किरदार की एंट्री होती है अमित राव की। STF के मुताबिक अमित राव को अरमान लेकर आया था। उसका काम युवकों से वसूली करना था। इस रैकेट में कौन-कौन जुड़ा था और इसका पैसा कहां-कहां जाता था। STF इसकी जांच कर रही है।

फर्जी पास के जरिए सचिवालय में करवाता था एंट्री-अरमान

जिस सचिवालय में एंट्री करना मुश्किल होता है। वहां अरमान और उसके साथी बकायदा पास लगी गाड़ियों से आते-जाते थे। इसकी पुष्टि सीसीटीवी फुटेज से हुई है। STF ने इन आरोपियों के पास से 2 सचिवालय के पास, 7 मोबाइल फोन, 57 साइन किए हुए चेक, 5 फर्जी आईडी कार्ड, 22 फर्जी नियुक्तिपत्र, 14 युवकों के शैक्षणिक प्रमाण-पत्र और मार्कशीट बरामद हुईं हैं।

मामले से जुड़ा स्वामी प्रसाद का नाम

इस कहानी में अरमान का किरदार बहुत अहम है। क्योंकि वह पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य का निजी सचिव है। युवकों को नौकरी दिलाने से पहले पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के सामने भी लाया जाता था। मंत्री को बताया जाता था कि वह युवक सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं। मंत्री से मिलकर युवक अरमान पर भरोसा कर लेते थे। उनको लगता था कि वह सही जगह पैसा दे रहे हैं। STF के DSP दीपक सिंह के मुताबिक उसने बताया कि अरमान अपने कार्यालय का उपयोग बतौर सलाहकार करता था।

सरकारी विभागों की बखूबी थी जानकारी

गैंग के सदस्य असगर अली ने बताया की वो देवरिया का रहने वाला है। आउट सोर्सिंग पर कई विभागों में काम कर चुका है। इस तरह उसको सरकारी विभागों के कामकाज की जानकारी हो गई। वह सचिवालय में अरमान की मदद से पहुंचा था।

इसके पास से अलग-अलग डेट के वाहन प्रवेश पास भी मिले हैं। उसकी जिम्मेदारी अपने साथी जमिल के जरिए युवकों को नौकरियों का प्रलोभन देकर फंसाना था। गोरखपुर, आजमगढ़, अंबेडकरनगर, सुल्तानपुर, इलाहाबाद समेत पूरे पूर्वांचल में उसका रैकेट फैला हुआ है।

STF ने अरमान खान, असगर अली, जमील, फैजी, विशाल गुप्ता, अमित राव, मुन्नवर, सैफी को गिरफ्तारी किया है। जो रिकॉर्ड बरामद हुए हैं, उससे अनुमान लगाया गया है कि करोड़ों रुपए की वसूली इन्होंने की है। STF के मुताबिक, गुरुवार को उन्हें पता चला कि अरमान खान, फैजी व विशाल SBI मेन ब्रांच से नेशनल पीजी कॉलेज जाने वाली रोड पर मौजूद हैं।

जिनसे मिलने असगर अली व अमित राव आने वाले है। टीम पहुंची तो अरमान खान, फैजी व विशाल वहां मौजूद थे। थोड़ी देर बाद सफेद रंग की महिंद्रा एक्सयूवी 700 बिना नंबर की एक गाड़ी आई। जिसमें असगर व अमित मौजूद थे। इसके बाद उन्हें घेराबंदी करके पकड़ लिया गया।

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