बिल्डरों का अवैध कब्जा! लखनऊ में झील की जमीन पर खड़ी इमरातें

लखनऊ में मोहनलालगंज तहसील के सामने झील की जमीन पर बीते तीन वर्ष से बिल्डरों का कब्जा है। झील की जमीन पर कब्जा करने के लिए पहले पट्टा कराया गया। बाद में वहां प्लाटिंग और भवनों का निर्माण कराया गया। कुछ वक्त पूर्व में जांच की मांग हुई तो पट्टा निरस्त कर दिया गया। जमीन पर पुन: झील का नाम चढ़ा दिया गया। बावजूद इसके बिल्डरों के हाथों धड़ल्ले से जमीनों की बिक्री हो रही है और खरीददार रोजाना जमीन के मोलभाव कर रहे है।

लखनऊ के पूर्व जिलाधिकारी ​अभिषेक प्रकाश के वक्त कुछ स्थानीय लोगों ने झील की जमीन पर कब्जा की शिकायत की थी। तभी पूर्व जिलाधिकारी ने जांच करायी तो मौके पर 43 बीघे झील की जमीन निकली थी। जिसे खाली कराने का निर्देश भी जारी हुआ था, लेकिन तहसील स्तर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी। मोहनलालगंज नगर पंचायत में तालाब, जलमग्न भूमि दर्ज गाटा संख्या 672 , 672 ज, 672 झ, 672, 573 ख, 573 ग, 699 म, 572 ख, 569 पर आज तक बिल्डरों ने अपना कब्जा नहीं छोड़ा है।

— मोहनलालगंज, गौरा, समेसी में जमीन एजेंट बन चुके भूमाफिया

लखनऊ में गांव से शहर की ओर अग्रसर मोहनलालगंज, गौरा, समेसी में छोटे काम धंधे करने वाले और जमीन एजेंट रहे लोग आजकल भूमाफिया बन चुके हैं। छोटे बड़े फर्म बनाकर ये एजेंट ही अब जमीनों की स्वत: खरीद बिक्री कर रहे है। जमीन की बढ़ती कीमतों के कारण लाभांश के हिस्से को सहकर्मियों के माध्यम से बांट कर सरकारी जमीन पर उनके कब्जे बढ़ते जा रहे है।

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