टूटते सपने, बिखरते रिश्ते: एनआरआई शादियां क्यों हो रहीं नाकाम?

विदेश में बसना…एक सपना जो हर मध्यमवर्गीय भारतीय परिवार के दिल में पलता है। और जब यही सपना एनआरआई दूल्हे के साथ रिश्ते के रूप में सामने आता है, तो लगता है मानो किस्मत ने मुस्कुराया हो। लेकिन कई बार यही सपना टूटकर बिखर जाता है… दर्द, धोखे और तलाक की कड़वी हकीकत बनकर।  एनआरआई… यानी विदेश में रहने वाला भारतीय। भारतीय समाज में इसकी एक खास छवि बनी हुई है. समृद्ध, सुरक्षित और आधुनिक जीवनशैली का प्रतीक। यही वजह है कि आज भी कई परिवार अपनी बेटियों की शादी एनआरआई युवकों से करने को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन हाल के वर्षों में सामने आए मामलों ने इस सोच पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

कई महिलाएं शादी के बाद जब विदेश पहुंचती हैं, तो उन्हें पता चलता है कि जो वादे शादी से पहले किए गए थे, वे सिर्फ दिखावा थे। कई मामलों में ना तो नौकरी होती है और ना ही स्थायी वीजा। महिलाएं डिपेंडेंट वीजा पर वर्षों तक फंसी रहती हैं. न तो आगे बढ़ सकती हैं, न ही वापस आ सकती हैं।

मानसिक तनाव, भाषा की दिक्कत, और सामाजिक अलगाव—इन सबका असर महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर साफ दिखाई देता है। और अगर पति या ससुराल वाले हिंसक या अपमानजनक व्यवहार करें तो स्थिति और भी भयावह हो जाती है। कई बार तो इन बहुओं के पास तलाक के सिवा कोई रास्ता नहीं बचता।

राष्ट्रीय महिला आयोग और विदेश मंत्रालय के पास ऐसे हजारों मामले दर्ज हैं। 2017 में विदेश मंत्रालय ने एक एनआरआई वैवाहिक विवाद सेल की स्थापना की, ताकि विदेशों में फंसी भारतीय महिलाओं को न्याय मिल सके।

“कई बार सामने आता है कि एनआरआई पति पहले से शादीशुदा होता है, या फिर विदेश में किसी और महिला से संबंध में होता है, जिसे वो भारत में छिपा जाता है। रिश्ते के टूटने की एक बड़ी वजह यह भी बनती है।”

पारिवारिक हस्तक्षेप और सांस्कृतिक मतभेद भी वैवाहिक जीवन में दरार डालने लगते हैं। भारत से हज़ारों किलोमीटर दूर, एक अनजान देश में, एक नई दुल्हन को अगर अपना हक़ न मिले, तो वो सिर्फ़ एक शादी नहीं, एक इंसान की पूरी उम्मीद टूट जाती है।विशेषज्ञों का कहना है कि एनआरआई शादियों से पहले पूरी जांच-पड़ताल, पारदर्शिता और कानूनी समझौता बेहद जरूरी है। इसके अलावा, समाज और सरकार को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विदेश में रहने वाली भारतीय बहुएं अपने अधिकारों से वंचित न रहें। एनआरआई बनने का सपना अगर सजगता और पारदर्शिता के साथ न देखा जाए, तो वो सपना नहीं बल्कि एक दुःस्वप्न साबित हो सकता है। ज़रूरत है सोच बदलने की, और रिश्तों में ईमानदारी लाने की।”हर वीज़ा पर विश्‍वास न करें, हर वादा निभाने वाला नहीं होता

ये भी पढ़े – कन्हैया कुमार का बड़ा बयान : तेजस्वी ही होंगे महागठबंधन का सीएम चेहरा

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें

अहमदाबाद रथ यात्रा में मचा हड़कंप, बेकाबू हाथी से भगदड़ देहरादून के महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कालेज में 8वीं के छात्र से रैगिंग फिर मुश्किलों में एअर इंडिया भगोड़ा हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी का आरोप भारत-कनाडा के रिश्तों में जमी बर्फ पघली