तहसील में 60 लाख की रिश्वतखोरी !पीलीभीत में डिप्टी रजिस्ट्रार, तहसीलदार और एसडीएम पर गंभीर आरोप

पूरनपुर, पीलीभीत। पूरनपुर तहसील में भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुका है। तहसील के डिप्टी रजिस्ट्रार, तहसीलदार और एसडीएम पर खुलेआम रिश्वत लेकर कोर्ट के आदेशों की धज्जियाँ उड़ाने और फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए ज़मीनें बेंचने के गंभीर आरोप सामने आए हैं।

फर्जी वसीयत का खेल और कोर्ट का आदेश भी हुआ दरकिनार

पूरनपुर निवासी निशा देओल ने अपर जिलाधिकारी पीलीभीत को सौंपे शिकायती पत्र में आरोप लगाया कि उनके पति सत्य प्रकाश देओल की मृत्यु के बाद कानूनन ज़मीन उनकी और बेटे अतरिक्ष देओल के नाम दर्ज हो चुकी थी। लेकिन उनके जेठ महेश चंद्र देओल और उनके पुत्रों ने फर्जी वसीयत पेश कर ज़मीन हड़पने की कोशिश की, जिसे तहसील स्तर पर खारिज कर दिया गया।

सिर्फ इतना ही नहीं, इस संपत्ति को लेकर न्यायालय द्वारा “यथास्थिति बनाए रखने” का आदेश भी पारित किया गया था, जिसकी ना सिर्फ अनदेखी हुई बल्कि खुला उल्लंघन भी।

रिश्वत के दम पर हुआ ज़मीन का बैनामा

निशा देओल का आरोप है कि विपक्षियों ने ₹60 लाख की मोटी रिश्वत देकर तहसील के अधिकारियों से साठगांठ की और वर्ष 2024 में विवादित ज़मीन का रजिस्ट्रेशन अवतार सिंह, अभिषेक गुप्ता, खुशबू गुप्ता, मोहम्मद जीशान जैसे कई नामों पर करवा डाला।

8 जनवरी और 18 जनवरी को निशा और उनके बेटे ने रजिस्ट्री रुकवाने के लिए उपनिबंधक कार्यालय में आपत्ति भी दी थी, लेकिन पहले से सेट खेल में उस आपत्ति को नजरअंदाज कर दिया गया।

तहसील प्रशासन की मिलीभगत उजागर

पूरनपुर तहसील का यह मामला न केवल पीड़िता के साथ अन्याय है, बल्कि पूरा प्रशासनिक तंत्र सवालों के घेरे में खड़ा हो गया है। आरोप है कि कोर्ट के आदेश के बावजूद अधिकारियों ने जानबूझकर गैरकानूनी तरीके से काम किया, जिससे साफ जाहिर होता है कि तहसील के भीतर भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं।

प्रार्थिनी की मांग – फर्जी बैनामा रद्द हो, दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो

निशा देओल ने अपनी शिकायत में मांग की है कि इस भ्रष्टाचार में शामिल डिप्टी रजिस्ट्रार, तहसीलदार, एसडीएम समेत सभी दोषियों पर तत्काल सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी मांग की कि फर्जी रजिस्ट्री निरस्त कर जमीन दोबारा उनके नाम की जाए ताकि वह बैंक का बकाया ऋण चुका सकें और बंधक भूमि को मुक्त करा सकें।

उन्होंने इस संबंध में जिलाधिकारी पीलीभीत से भी औपचारिक रूप से शिकायत की है और न्याय की मांग की है।

बेबाक सवाल – क्या अब भी खामोश रहेगा पीलीभीत प्रशासन ?

पूरा प्रकरण पूरनपुर तहसील की कानून व्यवस्था और प्रशासन की ईमानदारी पर गंभीर सवाल खड़े करता है। क्या सत्ता और पैसे के गठजोड़ के आगे न्याय की उम्मीद करना बेईमानी है ? पीलीभीत प्रशासन को यह तय करना होगा कि वह कानून के साथ खड़ा है या रिश्वतखोर तंत्र के साथ।

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