800 किलोमीटर रेंज वाला ब्रह्मोस वर्जन तैयार : जाने ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी के बाद भारत का ‘प्‍लान 5’

नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने न सिर्फ पाकिस्तान को करारा जवाब दिया, बल्कि पूरी दुनिया को अपनी रणनीतिक और सैन्य क्षमता का प्रदर्शन किया। आतंकवादी ठिकानों पर किए गए सटीक हवाई हमलों ने पाकिस्तान को सकते में डाल दिया। इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना के साथ-साथ ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ने एक बार फिर साबित कर दिया कि यह भारत की सैन्य रीढ़ बन चुकी है।

ब्रह्मोस : भारत-रूस की संयुक्त शक्ति, भारत की रणनीतिक संपत्ति

ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस की संयुक्त परियोजना है, लेकिन इसका निर्माण विशेष रूप से भारत में किया जाता है। यह सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ध्वनि की गति से तीन गुना तेज यानी मैक 3 की रफ्तार से उड़ती है और 400 किमी तक के लक्ष्य को नष्ट कर सकती है।

ऑपरेशन सिंदूर में, भारतीय वायुसेना के सुखोई-30MKI लड़ाकू विमान से दागी गई ब्रह्मोस मिसाइलों ने पाकिस्तान के आतंकी अड्डों को सटीक निशाना बनाया। सेना और नौसेना की ब्रह्मोस यूनिट्स भी पूरी तरह से तैयार थीं।

पाकिस्तान ने कबूला हमला

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सार्वजनिक रूप से इस बात की पुष्टि की कि भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल कर उनके ठिकानों पर हमला किया। यह स्वीकारोक्ति ब्रह्मोस की सटीकता और प्रभावशीलता पर मुहर लगाती है।

ब्रह्मोस का भविष्य: भारत का ‘प्लान-5’

  1. 800 किमी रेंज वाला वर्जन जल्द आने वाला है।
  2. पनडुब्बी से लॉन्च वर्जन का परीक्षण फिर से होगा, जो P-75I पनडुब्बियों का हिस्सा बनेगा।
  3. राफेल और अन्य फाइटर्स के लिए हल्का ब्रह्मोस तैयार किया जा रहा है।
  4. हाइपरसोनिक ब्रह्मोस पर भी तेजी से काम जारी है, जिसकी स्पीड मैक 5+ होगी।
  5. ब्रह्मोस का निर्यात शुरू हो चुका है—फिलीपींस ने डील साइन की है, वियतनाम और कई अन्य देशों से बातचीत जारी है।

वैश्विक स्तर पर ब्रह्मोस की मांग

फिलीपींस के साथ डील के बाद, भारत पहली बार अपने अत्याधुनिक मिसाइल सिस्टम का अंतरराष्ट्रीय निर्यात कर रहा है। कई दक्षिण-पूर्व एशियाई और मध्य पूर्वी देशों ने भी ब्रह्मोस में दिलचस्पी दिखाई है। यह न सिर्फ भारत के लिए सैन्य बल्कि आर्थिक और कूटनीतिक मोर्चे पर भी बड़ी सफलता है।

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चीन और पाकिस्तान की चिंता

ब्रह्मोस की तेज़ गति और लो-लेवल फ्लाइट क्षमता के चलते चीन जैसे देशों के अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम भी इसे रोकने में अक्षम साबित हुए हैं। पाकिस्तान के हवाई सुरक्षा तंत्र की कमजोरी एक बार फिर उजागर हो गई है।

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