
*कानपुर। मां बाप अपने लाडले की महज एक खुशी के लिए अपनी तमाम खुशियों को न्योछावर कर देते है।बच्चों के लालन पालन और पढ़ाई लिखाई में अपनी जमा पूंजी से लेकर दूसरों से उधार लेकर खर्च करने में भी गुरेज नहीं करते। वहीं बच्चे जब बड़े होकर अपने बाग़बा को ही दुत्कारने लगे ,घर से भगाने लगे …तो ऐसे लाचार और बेसहारा मां बाप के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता। ऐसे ही एक मामले में एसडीएम सदर कोर्ट ने उत्तर प्रदेश भरण पोषण एवं कल्याण अधिनियम के तहत न सिर्फ कड़ी प्रतिक्रिया दी है बल्कि एक बुजुर्ग के चार पुत्रों को फटकार लगाते हुए बुजुर्ग के भरण पोषण के लिए 1500 _1500 रुपए देने का फरमान सुनाया है।
बेटों के नाम खरीदा मकान, अपने हुए बेगाने..
कानपुर के हरबंश मोहाल के सीताराम मोहाल निवासी बुजुर्ग ने अपने चार पुत्रों के खिलाफ एसडीएम सदर कोर्ट में उत्तर प्रदेश भरण पोषण एवं कल्याण अधिनियम के तहत मुकदमा दाखिल कर बताया था कि वह पहले किराए के मकान में रहते थे बाद मकान मालिक ने मकान बेचने की बात कही।जिसके बाद उन्होंने मकान को अपने चारों पुत्रों के नाम रजिस्ट्री करा ली।अब चारों बेटे उसे घर से भगाने पर आमादा है।लगातार उसके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है।बुजुर्ग ने चारों बेटों के खान पान,पढ़ाई खर्च किए गए 23 लाख रुपए एक मुश्त और प्रत्येक बेटे से 10 हजार रुपए कोर्ट से दिलाने की गुहार लगाई।
कोर्ट की फटकार के बाद बुजुर्ग को मिला न्याय
कोर्ट में मुकदमा चला,कोर्ट ने स्थानीय थाना स्तर से चारों बेटों के काम और कमाई के बारे में आख्या तलब की ।थानाध्यक्ष ने बुजुर्ग के पुत्रों के काम और प्रति माह कमाई की आख्या सौंपी जिसके बाद कोर्ट ने बुजुर्ग के पक्ष में फैसला सुनाया।एसडीएम सदर रितु प्रिया की कोर्ट ने चारों पुत्रों को फटकार लगाते हुए बुजुर्ग के पोषण के लिए 1500_1500 सौ रूपये प्रति माह देने का आदेश दिया।उन्होंने हरबंस मोहाल थानाध्यक्ष को आदेश दिए कि अगर बुजुर्ग को उनके घर में रहने में उनके बेटों द्वारा कोई व्यवधान पैदा किया और उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाए तो वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण एवं कल्याण नियमावली के तहत कार्रवाई की जाए।