बॉम्बे हाई कोर्ट ने ‘मुंबई 2006 ट्रेन विस्फोट केस’ में निचली अदालत का फैसला पलटा,सभी 12 लोगों को किया बरी

मुंबई । बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई में 11 जुलाई, 2006 में हुए शृंखलाबद्ध ट्रेन विस्फोट केस में आज सेशन कोर्ट के फैसले को पलटते हुए दोषी ठहराए गए सभी 12 लोग बरी कर दिया। निचली अदालत ने अक्टूबर 2015 में पांच लोगों को मौत और सात अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

इस केस की सुनवाई हाई कोर्ट में जनवरी में जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्याम चांडक की विशेष पीठ के समक्ष पूरी हुई थी। पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज दोनों न्यायाधीशों ने फैसला सुनाया। फैसले में कहा गया कि “अभियोजन पक्ष मामले को उचित संदेह से परे साबित करने में पूरी तरह विफल रहा।”

पश्चिमी मुंबई की एक उपनगरीय लोकल ट्रेन के अलग-अलग सात डिब्बों में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोट में 189 यात्री मारे गए थे और 824 घायल हुए थे। आठ साल से ज्यादा अवधि तक चली सुनवाई के बाद सेशन कोर्ट की एक विशेष मकोका कोर्ट ने अक्टूबर 2015 में फैसला सुनाया था।

विशेष मकोका कोर्ट ने बिहार के कमाल अंसारी, मुंबई के मोहम्मद फैसल अताउर रहमान शेख, ठाणे के एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी, सिकंदराबाद के नवीद हुसैन खान और महाराष्ट्र के जलगांव के आसिफ खान को मौत की सजा सुनाई थी। इसके बाद 2015 में ही महाराष्ट्र सरकार ने पांच दोषियों को दी गई मौत की सजा की पुष्टि के लिए हाई कोर्ट का रुख किया था। साथ ही दोषियों ने निचली कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए अपील दायर की। इनमें से एक की 2021 में कोविड-19 के कारण मृत्यु हो गई थी।

केस की सुनवाई के लिए जुलाई 2024 में हाई कोर्ट ने न्यायाधीश अनिल किलोर की अध्यक्षता में विशेष पीठ का गठन किया। पीठ ने लगभग छह महीने तक नियमित सुनवाई की। आरोपितों की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एस मुरलीधर, युग मोहित चौधरी, नित्या रामकृष्णन और एस नागमुथु ने बहस की। राज्य की ओर से विशेष लोक अभियोजक राजा ठाकरे ने पैरवी की।

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