
BMC Election 2026 : महाराष्ट्र में महायुति के सीट बंटवारे को लेकर शिवसेना और भाजपा के बीच सहमति लगभग बन चुकी है। ठाणे में देर रात तक चली मैराथन बैठक के बाद अब इस गठबंधन का फॉर्मूला तय माना जा रहा है। इस बैठक में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रविंद्र चव्हाण के बीच करीब पांच घंटे तक चर्चा हुई, जिसमें शिवसेना-भाजपा गठबंधन को अंतिम रूप देने पर विस्तार से बातचीत हुई।
यह बैठक देर रात शुरू होकर सुबह चार बजे तक चली, जिसमें ठाणे, कल्याण-डोंबिवली और मुंबई महानगर क्षेत्र (MMR) की विभिन्न महापालिकाओं में सीटों के तालमेल पर सहमति बनने के संकेत मिले हैं। सूत्रों के अनुसार, गठबंधन अब अंतिम चरण में है और जल्द ही इसकी आधिकारिक घोषणा की जा सकती है।
बैठक में कौन-कौन शामिल थे?
इस महत्वपूर्ण बैठक में शिवसेना सांसद डॉ. श्रीकांत शिंदे, सांसद नरेश म्हस्के और महासचिव राहुल शेवाळे भी मौजूद रहे। सूत्रों के अनुसार, आगामी दो दिनों में प्रभाग (वार्ड) स्तर पर उम्मीदवारों को लेकर भी चर्चा की जाएगी, ताकि जमीनी समीकरणों को ध्यान में रखते हुए नाम तय किए जा सकें। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व, उपलब्धियों और कार्यकुशलता पर भी विचार-विमर्श हुआ, जहां उपस्थित नेताओं ने पीएम मोदी के साथ अपने-अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए और गठबंधन को मजबूत बनाने पर जोर दिया।
देवेंद्र फडणवीस और रविंद्र चव्हाण की जोड़ी को मिल रहा प्यार!
महाराष्ट्र की नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों में भाजपा ने फिर से खुद को नंबर-1 पार्टी साबित किया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की विकासोन्मुख राजनीति और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रविंद्र चव्हाण की मजबूत संगठन क्षमता, सटीक रणनीति और प्रभावी नेतृत्व के आधार पर भाजपा ने इन चुनावों में ऐतिहासिक सफलता हासिल की है।
इन नतीजों ने “देवेंद्र–रविंद्र” की जोड़ी की साख को और मजबूत कर दिया है, जिसे लंबे समय से सम्मान के साथ देखा जा रहा है। चुनाव प्रचार के दौरान गूंजा नारा “तुमची आमची भाजपा, सर्वांची भाजपा” को जनता ने मतों के रूप में साकार किया। प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र चव्हाण ने नतीजों के बाद कहा, “यह हमारे संगठन की मेहनत का परिणाम है, और हम पूरे महाराष्ट्र में अपने कार्यकर्ताओं के साथ मजबूती से खड़े हैं।”
रविंद्र चव्हाण निभा रहे अहम रोल!
छह महीने पहले प्रदेश अध्यक्ष का पद संभालने वाले रविंद्र चव्हाण ने पूरे महाराष्ट्र में अनुशासित, संयमित और आक्रामक जनसंपर्क अभियान चलाया। इस दौरान कई वरिष्ठ नेताओं को भाजपा में शामिल कर संगठन को मजबूत किया गया। कोकण क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखने वाले रविंद्र चव्हाण की नेतृत्व क्षमता की असली परीक्षा इन चुनावों में मानी जा रही थी, जिसमें वे सफल साबित हुए।
इन चुनावों में राज्य के कई हिस्सों में भाजपा का मुकाबला शिंदे गुट की शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट) से रहा। बावजूद इसके, मुख्यमंत्री फडणवीस की राजनीतिक सूझ-बूझ और रविंद्र चव्हाण की संगठनात्मक क्षमता के चलते भाजपा ने कई महत्वपूर्ण स्थानों पर जीत हासिल की। इसके साथ ही, महायुति में सत्ता का संतुलन बनाए रखने का भी प्रयास सफल रहा।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है कि इन नतीजों ने भाजपा को सहयोगी दलों के नेताओं को उनकी राजनीतिक हैसियत का संदेश भी दिया है। श्रीकांत शिंदे और रविंद्र चव्हाण के संबंधों को लेकर चल रही अटकलों को इन चुनावी परिणामों ने नया आयाम दिया है।
अब नजरें जनवरी में होने वाले महापालिका, विशेषकर बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनावों पर टिकी हैं। माना जा रहा है कि यदि देवेंद्र–रविंद्र की यह जोड़ी इसी तरह की रणनीति के साथ आगे बढ़ती है, तो आने वाले चुनावों में भी भाजपा का दबदबा कायम रह सकता है। ऐसे में महायुति के सहयोगी दलों की रणनीति और मैदान में उतरने की तैयारी भी अब राजनीतिक विश्लेषकों के लिए महत्वपूर्ण विषय बन चुकी है।













