पंचायत चुनाव में बीजेपी की बड़ी जीत, लेकिन परिवार हार गए..जनता ने नकारा ‘परिवारवाद’

देहरादून : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए ऐतिहासिक जीत दर्ज की है, लेकिन पार्टी के दिग्गज नेताओं के परिजन इस चुनावी जंग में बुरी तरह से मात खा गए। जहां-जहां पार्टी ने विधायकों और पूर्व विधायकों के बेटे, बहू, पत्नी या बेटी को मैदान में उतारा, वहां जनता ने उन्हें पूरी तरह नकार दिया।

नैनीताल में विधायक सरिता आर्या के बेटे रोहित आर्या, सल्ट विधायक महेश जीना के बेटे करन (स्याल्दे बबलिया क्षेत्र पंचायत सीट), बदरीनाथ के पूर्व विधायक राजेंद्र भंडारी की पत्नी रजनी भंडारी, लोहाघाट के पूर्व विधायक पूरन सिंह फर्त्याल की बेटी, लैंसडोन विधायक दिलीप रावत की पत्नी, नैनीताल में निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष बेला तोलिया, भीमताल विधायक राम सिंह कैड़ा की बहू और चमोली में भाजपा जिलाध्यक्ष गजपाल भर्तवाल जैसे तमाम दिग्गजों के परिजन चुनाव हार गए।

चुनाव परिणामों ने साफ कर दिया कि मतदाताओं ने कांग्रेस के परिवारवाद को तो स्वीकार किया, लेकिन भाजपा के भीतर उभरते परिवारवाद को नकार दिया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि भाजपा ने दिग्गजों के परिजन की जगह जमीनी और मजबूत कार्यकर्ताओं को टिकट दिए होते, तो परिणाम और भी बेहतर हो सकते थे।

फिर भी, पंचायत चुनाव में भाजपा की जीत उत्साहवर्धक और ऐतिहासिक मानी जा रही है। वर्ष 2019 में पार्टी को 200 सीटें मिली थीं, जिनमें हरिद्वार की सीटें भी शामिल थीं। इस बार हरिद्वार को छोड़कर भाजपा ने 216 सीटों पर जीत दर्ज की है। यदि हरिद्वार की 44 सीटें जोड़ दी जाएं, तो कुल आंकड़ा 260 तक पहुंचता है, जो अब तक की सबसे बड़ी जीत मानी जा रही है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में भाजपा पंचायतों में मजबूती से उभरकर सामने आई है और राज्य के सभी जिलों में भाजपा के बोर्ड बनने जा रहे हैं।

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