
भास्कर ब्यूरो
बरेली। प्रोफेसर श्याम बिहारी लाल बरेली की फरीदपुर सीट से भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं। यह उनके व्यक्तित्व का एक पक्ष है मगर एक दूसरा पक्ष भी है वह है उनका प्रोफेसर होना। जाने माने इतिहासकार प्रोफेसर श्याम बिहारी लाल रुहेलखंड विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर और हेड आफ द डिपार्टमेंट हैं। जिस वक्त में भारतीय जनता पार्टी औरंगजेब और सालार गाजी जैसे ऐतिहासिक पात्रों को वर्तमान की राजनीति के मैदान में उतार रही है, उस वक्त एक भाजपा विधायक इतिहासकार का यूपी हिस्ट्री कांग्रेस का अध्यक्ष बनना बेहद चौंकाने वाला व रोचक फैसला है।
बीते दिन रुहेलखंड विश्वविद्यालय में यूपी इतिहास कांग्रेस का 33 वां राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ। पांचाल सभागार में इस अधिवेशन में लगभग डेढ़ सौ शोध पत्रों को पढ़ा गया। आयोजन सचिव प्रोफेसर विजय बहादुर सिंह यादव रहे। उन्होंने बताया कि 170 ने अपना पंजीकरण कराया। प्राचीन, मध्य और आधुनिक इतिहास की कई सुलझी अनसुलझी गुत्थियों पर विस्तृत चर्चा परिचर्चा हुई। प्रो. राजकुमार गुप्ता ने अध्यक्षता की कहा कि भारत में हेरोडोटस लिवि जैसे इतिहासकार तो पैदा नहीं हुए मगर यह कहना गलत है कि भारतीयों में इतिहास बोध का अभाव था।
इस मौके पर प्रो. डीके चौबे, प्रो. रेनु शुक्ला, प्रो. अपर्णा माथुर, प्रो. एमपी अहिरवार, डा. सरला, डा. अपर्णा श्रीवास्तव, डा. रिफाक अहमद, डा. जैदी आदि ने इतिहास के आइनों को साफ किया, अपने अपने अनुभव की रोशनी से बीते हुए कल का रास्ता दिखाया।
दिलचस्प रहा आयोचन सचिव प्रो. विजय बहादुर यादव का 34 वीं इतिहास कांग्रेस के लिए अध्यक्ष के नाम की घोषणा करना। एचओडी प्रो. श्याम बिहारी लाल को अध्यक्ष निर्वाचित घोषित किया गया। प्रो. श्याम बिहारी लाल बरेली की फरीदपुर सीट से भाजपा के विधायक भी हैं।
ऐसे वक्त में जब एक चौथाई 21 वीं सदी बीतने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी इतिहास के पन्नों से शासक औरंगजेब को लाकर खड़ा कर रही है। सालार महमूद गाजी के मेले को रद्द कर रही है। इतिहास से नायक और खलनायकों को चुनने की नई कवायद देश में चल रही है, एक प्रोफेसर, एक इतिहासकार विधायक का यूपी हिस्ट्री कांग्रेस का अध्यक्ष बनना चौंकाने वाला तो नहीं मगर चुनौतीपूर्ण जरूर लग सकता है।
इस संबंध में जब प्रो. लाल से बात की गई तब उन्होंने कहा कि वह सभी को धन्यवाद देते हैं, जिस जिम्मेदारी को प्रो. इरफान हबीब, प्रो. यूपी अरोरा, प्रो. ओम प्रकाश व प्रो. एके सिन्हा जैसी हस्तियों ने संभाला, उनको यह अवसर मिलना गरिमापूर्ण है। जब उनसे इतिहास से न्याय का सवाल पूछा गया तब उन्होंने कहा कि एक इतिहासकार के रूप में वह निष्पक्ष हैं मगर उनका साफतौर पर यह मानना है कि वह चाहें प्राचीन हो या मध्यकाल या फिर मार्डन हिस्ट्री – सभी इतिहास विसंगतियों से भरे पड़े हैं। उनकी कोशिश होगी कि इतिहास लेखन में छूटी व टूटी कड़ियों को जोड़ा जाये। प्रो. श्याम बिहारी लाल का अपना सफर पत्रकारिता से अध्यापन और अध्यापन से विधानसभा तक गया है। वह कहते हैं कि वह चाहते हैं कि स्थानीय इतिहासकारों को मौका मिले। वह जल्द ही होने वाले अधिवेशन में विधिवत अपनी बात रखेंगे।