Seema Pal
अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लाए गए “जन्मसिद्ध नागरिकता” (US Birthright Citizenship) आदेश पर कोर्ट ने रोक लगा दी है। अमेरिकी कोर्ट ने डेमोक्रेटिक शासित राज्यों वाशिंगटन एरिजोना इलिनोइस और ओरेगन की याचिका पर विचार किया। जिसके तहत अमेरिकी जिला जज जॉन कॉफेनॉर ने ट्रंप के इस आदेश को अमेरिका में लागू करने पर रोक लगा दी है। अमेरिकी कोर्ट ने ट्रंप के फैसले को असंवैधानिक करार दिया है। अब ट्रंप के जन्मसिद्ध नागरिकता आदेश पर भारत में विशेष चर्चा हो रही है।
दरअसल, अमेरिका में ट्रंप के जन्मसिद्ध नागरिकता आदेश के बाद ही प्रवासी भारतीयों पर संकट मंडराने लगा है। हालांकि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप के इस अहम फैसले सही नहीं ठहराया है। क्योंकि ट्रंप का यह आदेश अमेरिका में पैदा होने वाले प्रवासियों के बच्चों को स्वत: नागरिकता देने के संबंध में पक्षधर नहीं था। यह मामला भारत के नागरिकता कानून से जुड़ा नहीं है, लेकिन इसके वैश्विक प्रभाव और भारतीय प्रवासियों पर इसके असर पर व्यापक चर्चा हो रही है। तो आइए जानते हैं इस फैसले के बारे में 10 महत्वपूर्ण बातें।
क्या है जन्मसिद्ध नागरिकता आदेश ?
जन्मसिद्ध नागरिकता का मतलब है कि यदि कोई व्यक्ति अमेरिका के अंदर पैदा होता है, तो उसे स्वत: अमेरिकी नागरिकता मिलती है। अमेरिकी संविधान की 14वीं संशोधन धारा के तहत यह प्रावधान है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि अमेरिका में जन्मे हर बच्चे को नागरिकता का अधिकार मिले।
ट्रंप ने दिया था यह आदेश
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने एक कार्यकारी आदेश जारी करने की योजना बनाई थी, जिसके तहत अमेरिका में अवैध रूप से रहने वाले प्रवासियों के बच्चों को जन्मसिद्ध नागरिकता का अधिकार नहीं मिलेगा। उनका तर्क था कि इस कदम से अवैध प्रवास को नियंत्रित किया जा सकता है और अमेरिका में अवैध अप्रवासियों की संख्या को कम किया जा सकता है।
आखिर अमेरिकी कोर्ट ने क्यों लगाई रोक?
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप के इस आदेश पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के आदेश को लागू करने से पहले इसे विधायिका (कांग्रेस) से पारित कराना आवश्यक होगा। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति को इस संवैधानिक अधिकार में बदलाव करने का अधिकार नहीं है।
अमेरिका में जन्मसिद्ध नागरिकता का प्रावधान अमेरिकी संविधान की 14वीं संशोधन धारा के तहत दिया गया है, जिसे 1868 में लागू किया गया था। इसका उद्देश्य यह था कि कोई भी बच्चा, जो अमेरिका की भूमि पर पैदा हो, नागरिकता से वंचित न हो। यह प्रावधान जाति, धर्म, रंग या राष्ट्रीयता के आधार पर भेदभाव से बचाने के लिए था।
अमेरिकी आदेश से भारतीयों पर पड़ेगा असर
यह आदेश अमेरिका के नागरिकता कानून से संबंधित है, और इसका भारतीय नागरिकों पर सीधे असर नहीं पड़ेगा। हालांकि, जिन भारतीयों के परिवार अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे हैं, उन्हें इस फैसले के बाद अपने भविष्य को लेकर चिंताएं हो सकती हैं। यह अमेरिकी प्रवासन नीति में बदलाव का संकेत देता है, जो भारतीय प्रवासियों को प्रभावित कर सकता है, विशेष रूप से उन बच्चों को जो अमेरिका में जन्मे हैं और नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।