
ऐश्वर्या राय बच्चन की मुस्कान ने न केवल दुनिया को मोहित किया, बल्कि 1994 में मिस वर्ल्ड बनकर भारत को वैश्विक गौरव दिलाया। उनका सफर आसान नहीं रहा सुष्मिता सेन से तुलना, शुरुआती फ्लॉप फिल्मों का दबाव और स्टारडम की चकाचौंध में खोने का डर- सब सहा, मगर हार नहीं मानी। मेहनत और दमदार किरदारों से खुद को साबित कर ग्लोबल आइकन बनीं. मां बनने के बाद फिल्मों से दूरी बनाई, फिर भी शालीनता और पहचान अटूट रही। तो आज हम उनके 52वें जन्मदिन पर करियर व निजी जीवन के रोचक किस्से याद करेंगे…शुरुआत करेंगे मैंगलोर की उस कहानी से जहां एक
साधारण लड़की विश्व सुंदरी बनी. ऐश्वर्या के पिता कृ्ष्णराज राय मरीन इंजीनियर और मां वृषा राय लेखिका थीं. ये लोग मुंबई शिफ्ट हुए जहां ऐश्वर्या ने आर्य विद्या मंदिर व डी.जी. रूपारेल कॉलेज में पढ़ाई की, वहां आर्किटेक्चर में दाखिला लिया। लेकिन मॉडलिंग का आकर्षण बढ़ता गया – 9वीं में कैमलिन विज्ञापन से शुरुआत, 1993 में पेप्सी का “हाय, मैं सन्या हूं” संवाद वायरल हो गया। सादगी व आत्मविश्वास ने फैशन जगत में जल्द जगह बनाई।

मिस इंडिया के लिए ‘राजा हिंदुस्तानी’ समेत चार फिल्म ऑफर ठुकराए, क्योंकि पेजेंट पर फोकस था। वोग इंटरव्यू में बताया कि अगर मिस इंडिया न जातीं, तो यही उनकी डेब्यू फिल्म होती। 1994 मिस इंडिया में सुष्मिता सेन से आमना-सामना; ऐश्वर्या सेकंड रनरअप रहीं। सुष्मिता को लगा खिताब ऐश्वर्या के लिए फिक्स है—लोकप्रिय मॉडल होने से जज पक्षपाती लगे; चेंजिंग रूम में रोते हुए फॉर्म वापस लेने तक सोचा। एड गुरु प्रह्लाद कक्कड़ ने समझाया कि जज निष्पक्ष हैं. सुष्मिता मिस इंडिया बनीं, ऐश्वर्या को मिस वर्ल्ड भेजा गया।

हार के बाद ऐश्वर्या ने मिस वर्ल्ड में हिस्सा लिया , 19 नवंबर 1994 को ताज जीता, नीली आंखें व आत्मविश्वास ने अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। उसी साल सुष्मिता मिस यूनिवर्स बनीं—मिस इंडिया विजेता यूनिवर्स जाती है, सेकंड रनरअप वर्ल्ड। दोनों प्रतियोगिताएं अलग संगठनों की: यूनिवर्स व्यक्तित्व-बोलचाल पर, वर्ल्ड सौंदर्य-फिटनेस-सामाजिक कार्य पर फोकस। जीत के बाद ऐश्वर्या ने वैश्विक सामाजिक कार्यों में योगदान दिया। अफवाहें थीं मनमुटाव की, मगर सुष्मिता ने वाइल्ड फिल्म्स इंटरव्यू में स्पष्ट किया – न दुश्मनी, न गहरी दोस्ती; बस करियर पर फोकस, समय नहीं मिला मिलने का।

मिस वर्ल्ड के बाद 1997 में ‘इरुवर’ से डेब्यू, ‘और प्यार हो गया’ से बॉलीवुड एंट्री; शुरुआती फिल्में फ्लॉप, मगर अभिनय सराहा गया। 1999 ‘हम दिल दे चुके सनम’ टर्निंग पॉइंट—नंदिनी की मासूमियत ने सुपरस्टार बनाया। भंसाली की पहली पसंद नहीं थीं; माधुरी डेट्स इश्यू, मनीषा नेपाल में व्यस्त—सलमान की सलाह पर चुनी गईं। इंटरव्यू में ऐश्वर्या बोलीं, किरदार में पूरी डूबीं। इसके बाद ‘ताल’, ‘हमारा दिल आपके पास है’ ने जगह पक्की की।

2002 ‘देवदास’ में पारो बन भारतीय सिनेमा का इतिहास रचा, शाहरुख-माधुरी के साथ स्वर्णिम पल। शूटिंग में विंड मशीन दुर्घटना—तकनीशियन की मौत, ऐश्वर्या घायल, मगर शूट पूरा किया; प्रोफेशनलिज्म की मिसाल। भंसाली ने फिल्मफेयर में कहा, ऐश्वर्या की आंखें सौंदर्य का सार, बिना संवाद भाव व्यक्त करतीं—पारो की आत्मा। ‘देवदास’ प्रीमियर पर कान्स में पहली भारतीय अभिनेत्री के तौर पर प्रतिनिधित्व; 2003 ज्यूरी बनीं। हॉलीवुड में ‘ब्राइड एंड प्रेजुडिस’, ‘लास्ट लीजन’, ‘पिंक पैंथर 2’; बॉलीवुड में ‘धूम 2’, ‘गुरु’ (अभिषेक के साथ केमिस्ट्री हिट), ‘जोधा अकबर’, ‘रावण’, ‘जज्बा’ में बहुमुखी प्रतिभा।
2007 में अभिषेक से ‘रॉयल वेडिंग’- दो फिल्म परिवारों का मिलन। 20 अप्रैल, मुंबई; बंगाली-तुलु रीति, तीन दिन- मेहंदी, संगीत, शादी। ऐश्वर्या नीता लुल्ला की गोल्डन कंजीवरम साड़ी में, अभिषेक क्रीम शेरवानी-पगड़ी में। प्राइवेट, सीमित मेहमान, न्यूनतम मीडिया; साउथ फ्लेवर के लिए संगीतकार आमंत्रित। सादगी-भव्यता का नया स्टैंडर्ड सेट।
2011 आराध्या जन्म के बाद फिल्मों से ब्रेक, मातृत्व प्राथमिकता। बेटी को सबसे अनमोल बताया; इंटरव्यू में कहा, आराध्या ने जीवन नया अर्थ दिया, मां बनना खूबसूरत अनुभव।
ऐश्वर्या अनुशासन, व्यावसायिकता, सादगी की मिसाल, विवादों से दूर, फोकस काम-परिवार-आत्मविकास पर। उनकी यात्रा सफलता से ज्यादा मेहनत, संयम, आत्मविश्वास की मिसाल; रनवे से मिस वर्ल्ड, बॉलीवुड से हॉलीवुड, मां की भूमिका तक, हर कदम पर गरिमा से भारतीय महिला की नई परिभाषा गढ़ी।















