Bijnor : UPSC के दबाव से टूटकर गोल्ड मेडलिस्ट ललिता रानी गंगा बैराज से छलांग लगाई

Bijnor : आईआईटी कानपुर की गोल्ड मेडलिस्ट ललिता रानी 26 ने सोमवार तड़के 5:45 बजे गंगा बैराज के गेट नंबर-24 से 80 फीट नीचे उफनती गंगा में छलांग लगा दी। यूपीएससी मेन्स में 12 नंबर से रह जाने का सदमा और तैयारी का लगातार दबाव उन्हें इतना तोड़ गया कि उन्होंने मॉर्निंग वॉक के बहाने घर से निकलकर यह कदम उठा लिया। SDRF की 12 सदस्यीय टीम, पुलिस और गोताखोर 14 घंटे से सर्च कर रहे हैं, लेकिन शव का कोई सुराग नहीं मिला।

ललिता चांदपुर के खानपुर माजरा गांव की रहने वाली थीं और बिजनौर के चक्कर रोड (रेलवे फाटक) स्थित किराए के मकान में परिवार के साथ रहती थीं। रोज की तरह सुबह 5 बजे वह मॉर्निंग वॉक के लिए निकलीं। उनके साथ पड़ोस की 12 साल की रिया भी थी। रिया ने पुलिस को बताया, “दीदी ने कहा था – स्टेशन तक चलेंगी। लेकिन बस में बैठकर बैराज आ गईं। गेट पर पहुंचते ही अपना फोन मुझे थमा दिया और बोलीं – ‘मम्मी को बोलना, मैं थक गई हूं।’ फिर रेलिंग पर चढ़कर कूद गईं।” रिया के शोर मचाने पर ड्यूटी पर तैनात होमगार्ड जवान दौड़े, लेकिन तब तक ललिता पानी में समा चुकी थीं।

ललिता के भाई रोहित (IIT दिल्ली पासआउट) ने रोते हुए बताया, “दीदी ने 2023 में कंप्यूटर साइंस में गोल्ड मेडल लिया था। यूपीएससी के तीन प्री क्लियर किए, लेकिन इस बार मेन्स में 12 नंबर से रह गईं। रविवार रात 2 बजे तक पढ़ रही थीं। सुबह बोलीं – ‘बस एक सैर कर आऊंगी।’” परिवार के पास ललिता का आखिरी वॉट्सऐप मैसेज है: “मैंने कोशिश कर ली। अब थक गई हूं। मम्मी-पापा को बोलना, मैं उनसे बहुत प्यार करती हूं।”

गंगा बैराज का गेट नंबर 22-26 ‘सुसाइड जोन’ कहलाता है। यहां पानी 60-80 फीट गहरा है और करंट 18 किमी/घंटा। SDRF कमांडर मनोज कुमार ने कहा, “यहां बॉडी 48 घंटे में भी नहीं मिलती। ललिता के कपड़े और जूते गेट पर मिले हैं।” SP सिटी डॉ. अभिषेक कुमार ने 5 टीमें लगाईं। DM उमेश मिश्रा ने बैराज पर 24×7 पुलिस पिकेट और CCTV लगाने के आदेश दिए। महिला थाने में मार्ग एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ।

गांव में ललिता को ‘आईएएस दीदी’ कहा जाता था। वह 40 लड़कियों को फ्री कोचिंग देती थीं। रविवार को आखिरी क्लास में बोली थीं “अगर IAS बन गई तो तुम सबको फ्री कोचिंग दूंगी।” आज कोचिंग बंद है। परिवार ने बैराज पर कैंडल मार्च निकाला। यूपी सरकार ने मुआवजा और जांच के आदेश दिए। ललिता की डायरी का आखिरी पन्ना: “सपने पूरे करने का दबाव इतना था कि जीने की वजह भूल गई।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें