
Bihar Politics : बिहार में विधानसभा चुनाव 2024 की तारीख अब नजदीक ही है। बिहार में 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा जाएगा। बिहार चुनाव में सभी चुनावी पार्टियां अपने-अपने दल को मजबूती के साथ मैदान में उतारने की तैयारी कर रही हैं। पिछले कई चुनावों से बिहार चुनाव राजद प्रमुख व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर केंद्रित रहा है। नीतीश कुमार की पार्टी विधानसभा चुनाव एनडीए गठबंधन से लड़ेंगे। जिसमें सीट शेयरिंग को लेकर विवाद चल रहा है।
पिछले दिनों पटना में हुई एनडीए की बैठक में राजद, लोजपा और हम के प्रमुख शामिल हुए थे। इस बैठके के बाद एक और बैठक दिल्ली में होनी है। बताया गया है कि बैठक में एनडीए ने नीतीश कुमार के सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर सहमति जताई थी। बता दें, नीतीश कुमार के इसी सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर एनडीए ने बिहार में लोकसभा चुनाव लड़ा था।
बिहार में बदले मांझी के सुर
हालांकि इस बैठक के बाद हम प्रमुख मांझी के सुर बदले नजर आए। हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के प्रमुख मांझी ने कहा कि उनकी पार्टी बिहार में 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। मांझी ने कहा कि वह सभी विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे। मांझी के इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में हलचल मच गई। इसी दौरान मांझी ने राहुल गांधी से भी मुलाकात की थी। जिससे मांझी के बगावत के आसार बनते दिखाई दिए।
चिराग पासवान के बयान से NDA में हलचल
वहीं अब, लोजपा (रामविलास) चीफ चिराग पासवान, जिन्हें मोदी का हनुमान कहा जाता है, ने बिहार में सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर दी है। दरअसल, चिराग पासवान ने 8 जून को एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर बिहार की जनता चाहेगी तो उनकी पार्टी सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है।
बिहार में एनडीए की बैठक के बाद ही चिराग पासवान और मांझी के तेवर में बदलाव आना कोई सामान्य बात नहीं है। दोनों ही के बयानों के बाद बिहार में एनडीए के साथ-साथ राजद प्रमुख नीतीश कुमार की रातों की नीदें भी उड़ सी गई है।
क्या है बिहार में NDA का सीट शेयरिंग फार्मूला
बिहार में चुनाव से पहले भाजपा और जेडीयू के नेतृत्व वाले गठबंधन की सीटों पर बंटवारा एनडीए सीट शेयरिंग फार्मूला पर हो सकता है। आज बिहार की राजधानी पटना में एनडीए के सहयोगी दलों की बैठक हुई, जिसमें आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बातचीत हुई। साथ ही सीटों के बंटवारे पर भी चर्चा हुई, जिसमें लोकसभा चुनाव के दौरान हुए सीट शेयरिंग फॉर्मूले को अपनाने की बात कही गई है। बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार में एनडीए की सीटों के बंटवारे में बीजेपी ने 17, जेडीयू ने 16, एलजेपी ने 5 और हम और राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने एक-एक सीट पर चुनाव लड़ा था और एनडीए ने चुनाव जीत कर गठबंधन की सरकार बनाई थी। अब यही फार्मूला विधानसभा चुनाव में भी इस्तेमाल होगा।
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव में एनडीए की पांच राजनीतिक पार्टियां चुनाव लड़ेंगी। इनमें भाजपा, जेडीयू, लोजपा (राम विलास ), हम और राष्ट्रीय लोक मोर्चा चुनाव में एनडीए के लिए उम्मीदवार उतरेंगे। भाजपा सूत्रों के मुताबिक, जेडीयू (JDU) 243 में से 102-103 और बीजेपी (BJP) 101-102 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। बाकी बची करीब 40 सीटें लोक जनशक्ति पार्टी (LJP), हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (HAM) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) में बांटी जाएंगी। अगर पिछले चुनाव से विश्लेषण किया जाए तो एनडीए लोजपा को 25-28 सीटें मिल सकती हैं, हम को 6-7 सीटें और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को 4-5 सीटें दी जा सकती हैं।
क्यों अलग-थलग दिख रहें चिराग-मांझी
दरअसल, बिहार में नीतीश के सीट शेयरिंग के अनुसार अगर सीटों का बंटवारा होता है तो यह निश्चित है कि जेडीयू को ज्यादा सीटें मिलेंगी, उसके बाद चिराग पासवान की पार्टी और फिर सबसे कम मांझी की हम को सीटें मिलेंगी। चिराग पासवान और मांझी की नाराजगी का ये कारण हो सकता है। इसके अलावा, बिहार में एनडीए के सभी सहयोगी दलों में यह सहमति बन चुकी है कि विधानसभा चुनाव जदयू प्रमुख नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। भाजपा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बिहार में एनडीए के मुख्यमंत्री का फेस नीतीश कुमार ही रहेंगे। यानी अब यह साफ हो गया है कि एनडीए बिहार विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नाम और काम पर लड़ेगी। भाजपा का कहना है कि बिहार नीतीश कुमार के नेम और फेम से विधानसभा चुनाव में फायदा मिलेगा। एनडीए के इस फैसले से भी चिराग पासवान और मांझी बगावत करने का मन बना सकते हैं।