
Luknow : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने राजनीतिक हलचल मचा दी है, जहां एनडीए ने शानदार प्रदर्शन कर 202 सीटों पर कब्जा जमाया, वहीं बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने रामगढ़ विधानसभा सीट पर 30 वोटों के बेहद कड़े मुकाबले में जीत हासिल कर सभी को चौंका दिया।
बीएसपी प्रत्याशी सतीश कुमार सिंह यादव ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दिग्गज उम्मीदवार और मौजूदा विधायक अशोक कुमार सिंह को 72,689 के मुकाबले 72,659 वोटों से हराया। यह जीत बीएसपी के लिए बिहार में हाल के वर्षों की पहली सफलता है, जो दलित-मुस्लिम गठजोड़ की ताकत का प्रतीक बनी हुई है।
रामगढ़, कैमूर जिले का एक महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र, हमेशा से आरजेडी और बीजेपी के बीच युद्ध का मैदान रहा है।
2024 के उपचुनाव में सतीश कुमार सिंह यादव को ही बीएसपी ने टिकट दिया था, लेकिन तब वे 1,362 वोटों से हार गए थे। इस बार 11 नवंबर को हुए मतदान में कुल 67.84% मतदाताओं ने हिस्सा लिया, जो 2020 के 64.18% से अधिक है। छह उम्मीदवार मैदान में उतरे थे, जिनमें आरजेडी के अजीत कुमार (41,480 वोट) तीसरे और जन सुराज पार्टी के आनंद कुमार सिंह (4,426 वोट) चौथे स्थान पर रहे। इसके अलावा, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के घुरेलाल राजभर और निर्दलीय रामप्रवेश सिंह भी चुनाव लड़े, जबकि 1,154 वोट नोटा (कोई नहीं) को पड़े।
सतीश कुमार सिंह यादव की जीत पर बीएसपी प्रमुख मायावती ने ट्वीट कर कहा, “यह जीत दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों की एकजुटता का परिणाम है। बिहार में बीएसपी का झंडा फिर लहराएगा।” यादव ने अपनी जीत का श्रेय स्थानीय मुद्दों जैसे बेरोजगारी, कृषि संकट और विकास की कमी को ठहराया। वे कहते हैं, “रामगढ़ के लोग बदलाव चाहते थे, और हमने वादा किया था कि उनकी आवाज विधानसभा तक पहुंचाएंगे।” दूसरी ओर, हार से निराश अशोक कुमार सिंह ने कहा, “यह अंतर मामूली है, लेकिन लोकतंत्र की जीत है। हम मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाएंगे।”
बिहार चुनाव का समग्र परिदृश्य: एनडीए की ऐतिहासिक लहर, महागठबंधन का बुरा हाल
शुक्रवार को घोषित 243 सीटों के अंतिम नतीजों में एनडीए ने बहुमत (122) से कहीं अधिक मजबूत स्थिति हासिल की। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल (यूनाइटेड) ने 85 सीटें जीतीं, जो 2010 के बाद उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। बीजेपी को 89, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 19, हम (सेक्युलर) को 5 और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को 4 सीटें मिलीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीत को “गंगा की धारा” बताते हुए कहा कि यह विकास और सुशासन की जीत है।
विपक्षी महागठबंधन को करारा झटका लगा, जो महज 34 सीटों पर सिमट गया। आरजेडी को 25, कांग्रेस को 6, भाकपा (माले) लिबरेशन को 2 और माकपा को 1 सीट मिली। तेजस्वी यादव ने अपनी पारिवारिक जड़ों वाली रघोपुर सीट पर कड़ी टक्कर के बाद जीत हासिल की, लेकिन कुल मिलाकर दल तीसरे स्थान पर खिसक गया। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) को 5 और इंडियन इंडिपेंडेंट पार्टी (आईआईपी) को 1 सीट मिली, जबकि बीएसपी की रामगढ़ ही एकमात्र सीट बनी।
चुनाव प्रचार में जातिगत जनगणना, रोजगार सृजन और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे प्रमुख रहे। महागठबंधन ने युवाओं को लुभाने के लिए डिजिटल कैंपेन चलाया, लेकिन एनडीए की संगठनात्मक ताकत और विकास के वादों ने बाजी मार ली। चुनाव आयोग के अनुसार, कुल 6.95 करोड़ मतदाताओं में से 4.7 करोड़ ने वोट डाले। अब नीतीश कुमार दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे, जो बिहार की राजनीति में नया अध्याय जोड़ेगा।
यह नतीजे न केवल बिहार, बल्कि उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों की राजनीति को भी प्रभावित करेंगे, जहां बीएसपी जैसी पार्टियां नई रणनीति बना रही हैं। रामगढ़ की यह त्रिशंकु सीट एनडीए के लिए एक छोटा लेकिन सार्थक सबक साबित हुई है।










