Bihar Election : सोनबरसा सीट पर छीनाझपटी क्यों? पिछली बार जेडीयू ने जीता था चुनाव

Bihar Election- Sonbarsha Seat : बिहार में चुनावी रण का शंख बज चुका है, लेकिन एनडीए के भीतर टिकट को लेकर मचा घमासान अब खुलकर सामने आने लगा है। आज एनडीए के सभी प्रमुख दल अपने-अपने उम्मीदवारों के नामों की औपचारिक घोषणा करने जा रहे हैं, लेकिन उससे पहले ही जेडीयू कैंप में उथल-पुथल मच गई है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने कई उम्मीदवारों को पार्टी का सिंबल सौंप दिया है- जिनमें अनंत सिंह, उमेश कुशवाहा, सुनील कुमार, शैलेश कुमार, दामोदर राउत, संतोष निराला और रत्नेश सदा जैसे नाम शामिल हैं।

जेडीयू के उम्मीदवारों के नामों का एलान करने के बाद रत्नेश सदा का नाम अब विवाद के घिर गया है। दरअसल, सहरसा जिले की सोनबरसा सीट पर एनडीए के भीतर ही टकराव है। चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) ने इस सीट से पहले ही अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था और अब जेडीयू ने उसी सीट से रत्नेश सदा को सिंबल थमा दिया है। इसी को लेकर सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें जेडीयू के कोषाध्यक्ष ललन सर्राफ, रत्नेश सदा को सिंबल देते नजर आ रहे हैं। रत्नेश सदा का टिकट अब खतरे में बताया जा रहा है और इंटरव्यू के दौरान उनके भावुक होकर रो पड़ने का वीडियो भी सामने आया है, जिससे सस्पेंस और गहरा गया है।

सोनबरसा सीट पर क्यो अड़े नीतीश और चिराग?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बज चुका है और अब राजनीतिक मुकाबले ने दिलचस्प मोड़ ले लिया है। राज्य की चर्चित सीटों में से एक सहरसा जिले की सोनबरसा विधानसभा सीट पर इस बार नीतीश कुमार और चिराग पासवान आमने-सामने आ गए हैं यानी एनडीए के भीतर ही टकराव की स्थिति बन गई है।

चुनाव आयोग के अनुसार, बिहार में दो चरणों में मतदान होगा और सोनबरसा सीट पर 14 नवंबर को वोटों की गिनती की जाएगी। इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय नहीं, बल्कि चतुष्कोणीय बताया जा रहा है, जहां बीजेपी, जेडीयू, लोजपा (रामविलास) और महागठबंधन (आरजेडी-कांग्रेस) चारों मोर्चे पर आमने-सामने हैं।

दरअसल, सोनबरसा सीट पर जेडीयू ने अपने मौजूदा विधायक रत्नेश सदा को दोबारा प्रत्याशी बनाया है। वहीं, चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) ने भी इसी सीट से अपना उम्मीदवार उतार दिया है, जिससे एनडीए के भीतर घमासान मच गया है। इस सीट को लेकर खींचतान इतनी बढ़ गई कि सोशल मीडिया पर जेडीयू के कोषाध्यक्ष ललन सर्राफ द्वारा रत्नेश सदा को पार्टी का सिंबल देते हुए तस्वीर वायरल हो गई। इस कदम से साफ है कि जेडीयू इस सीट को किसी भी हाल में छोड़ने को तैयार नहीं है।

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि सोनबरसा सीट सिर्फ एक निर्वाचन क्षेत्र नहीं, बल्कि बिहार में एनडीए की एकता की परीक्षा बन चुकी है। 2020 के विधानसभा चुनाव में इसी सीट से जेडीयू उम्मीदवार रत्नेश सदा ने 67,530 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी तारनि ऋषिदेव को 53,798 वोट मिले थे। अब जब लोजपा (रामविलास) ने इस सीट पर दावा ठोक दिया है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या नीतीश कुमार अपने सहयोगी दल चिराग पासवान के दबाव के आगे झुकते हैं या पार्टी की पुरानी सीट पर जेडीयू का दावा बरकरार रखते हैं।

वहीं, विपक्षी खेमे यानी महागठबंधन में आरजेडी और कांग्रेस इस सीट को लेकर एकजुट दिखने की कोशिश में हैं। आरजेडी सूत्रों के मुताबिक, सोनबरसा जैसी अति पिछड़ी और दलित बहुल सीटों पर वे इस बार स्थानीय समीकरणों के आधार पर रणनीति बना रहे हैं।

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि सोनबरसा में इस बार चुनाव सिर्फ उम्मीदवारों के बीच नहीं, बल्कि एनडीए की आंतरिक एकता की परीक्षा बन गया है। अगर चिराग और नीतीश का यह टकराव सुलझा नहीं, तो इसका असर बिहार की कई अन्य सीटों पर भी पड़ सकता है।

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