
Bihar Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के तहत जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने अपने 101 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। नीतीश कुमार ने उम्मीदवार चयन में सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए रणनीति बनाई है, जो उनकी सोशल इंजीनियरिंग की विशेषज्ञता को दर्शाता है। इस बार भी जदयू ने पिछड़ों को प्रमुखता दी है, जिसमें 37 प्रतिशत उम्मीदवार पिछड़ा वर्ग से हैं, जबकि मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या चार है। पार्टी की सूची में आठ यादव उम्मीदवार शामिल हैं।
पिछड़ों को सीटों का आधा से अधिक हिस्सा
जदयू ने अपनी दूसरी सूची के बाद स्पष्ट किया है कि उसने पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया है। कुल सीटों का 50 प्रतिशत से अधिक पिछड़ा और अतिपिछड़ा समुदाय के नेताओं को आवंटित किया गया है। इसमें 37 उम्मीदवार पिछड़ा समुदाय से हैं, जबकि 22 अतिपिछड़ा वर्ग के हैं। दलितों को 15 प्रतिशत सीटें मिली हैं और महिलाओं के लिए 13 प्रतिशत सीटें आरक्षित हैं। अनुसूचित जनजाति का प्रतिनिधित्व मात्र 1 प्रतिशत रहा है।
अति पिछड़े वर्ग में संतुलन
जदयू ने अति पिछड़ा वर्ग के विभिन्न जातियों जैसे मल्लाह, तेली, कंहार, पासवान, चंद्रवंशी, सोनार, नाई, लोहार, रजक, और बढ़ई से कुल 37 उम्मीदवारों को मौका दिया है। इस वर्ग में सबसे अधिक कुशवाहा समुदाय से 13 उम्मीदवार हैं, जबकि कुर्मी से 12। यादव और धानुक समुदाय से भी 8-8 उम्मीदवार बनाए गए हैं। मुस्लिम, यादव, और भूमिहार प्रत्याशियों की संख्या इस बार कम हुई है।
सवर्ण जातियों में राजपूतों का दबदबा
जदयू ने सबसे अधिक 10 राजपूत उम्मीदवारों को मौका दिया है, जो सवर्ण जातियों में सबसे अधिक हैं। इसके बाद भूमिहार जाति से 9 प्रतिशत उम्मीदवार हैं। ब्राह्मणों को 2 प्रतिशत और कायस्थों को सिर्फ 1 प्रतिशत उम्मीदवार मिले हैं।


जातिगत हिस्सेदारी (2020)
- अतिपिछड़ा: 19
- यादव: 18
- कुशवाहा: 15
- कुर्मी: 12
- मुस्लिम: 11
- भूमिहार: 10
- धानुक: 8
- राजपूत: 7
- वैश्य: 3
- ब्राह्मण: 2
- जनजाति: 1
यह रणनीति नीतीश कुमार की सामाजिक समीकरण की समझ को दर्शाती है, जिसमें पिछड़ा वर्ग और अन्य वर्गों के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया गया है।
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