बिहार में चुनावी मौसम जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, बिहार की राजनीतिक तापमान शुन्य से शिखर पर पहुंच रहा है. बिहार में चुनाव की तिथि की घोषणा के साथ ही नामांकन प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. इसी क्रम में चुनाव आयोग ने बिहार के 27 नेताओं पर चुनाव लड़ने पर बैन लगा दिया है. चुनाव आयोग ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 10 के तहत यह बैन लगाया है.
चुनाव आयोग ने 27 अयोग्य प्रत्याशियों की सूची सभी जिलों में भेज दी है. ये सभी 27 लोग बिहार के 17 विधानसभा क्षेत्र से जुड़े हैं. खगड़िया से बबीता देवी,कुशेश्वरस्थान से तुरंती सदा, बेनीपुर से ताराकांत झा, कुटुंबा से रंजीत कुमार, औरंगाबाद से संजीत चौरसिया, कुढ़नी से सरजीत सुमन, अशर्फी शनि, अभय कुमार ,पूजा कुमारी,बेनीपुर से जितेंद्र पासवान, हायाघाट से मोहम्मद अरशदअली नगर विधानसभा से अनंत कुमार, केवटी से विजय कुमार, और रामसखा पासवान,पातेपुर से लखींद्र पासवान,परबत्ता से सतीश प्रसाद सिंह, केवटी से अशोक झा, गायघाट से रघुनाथ प्रसाद सिंह, हथुआ से संजय मौर्य और फारुख खान, कुम्हरार से सुबोध कुमार और कुमार विजय, भोरे से जानकी देवी, शर्मा देवी, बेलदौर से बिंदु देवी शामिल हैं.
नियम के मुताबिक, अगर कोई भी उम्मीदवार चुनावी खर्च का ब्यौरा नहीं दें तो चुनाव आयोग को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 10 के तहत यह अधिकार है कि वह उस उम्मीदवार पर प्रतिबंध लगा सकता है चुनावी खर्च का ब्यौरा परिणाम आने के 30 दिनों के अंदर नहीं देने या कोई जायज कारण नहीं बताने की स्थिति में चुनाव आयोग उस उम्मीदवार को 3 वर्ष की अवधि के लिए चुनाव लड़ने पर रोक भी लगा सकता है, और जिन 27 उम्मीदवारों को 3 सालों के लिए प्रतिबंधित किया गया है इनकी अवधि जनवरी 2022 में पूरी हो रही है.