
Bihar Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव-2025 के लिए महागठबंधन और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) दोनों ही खेमें ने प्रचार अभियान शुरू कर दिया है। बीते शुक्रवार को एनडीए ने मोस्ट स्टार प्रचारक और भाजपा के जादूगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनावी मैदान में प्रचार के लिए उतार दिया है। इस क्रम में पीएम मोदी ने सबसे पहले कर्पूरी ठाकुर के गांव समस्तीपुर जिले के कर्पूरी ग्राम को चुना, जहां से एनडीए ने पिछड़ा और अतिपिछड़ा (EBC) के वोटर्स को साधने का एजेंडा सेट कर लिया है।
एनडीए ने 2020 से तय की 2025 की राह
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों में एनडीए अब बिहार की 45 विधानसभा सीटों पर खास नजर बनाए हुए है, जहां 2020 के विधानसभा चुनाव में जीत-हार का अंतर 5000 वोटों से कम था। इनमें से कई सीटें ऐसी थीं, जहां मुकाबला बेहद कांटे का था और अंतर 1000 से भी कम मतों का था। एनडीए अब इन सीटों पर संगठन और रणनीति दोनों स्तर पर नए सिरे से मजबूती ला रहा है, ताकि 2025 के विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन सुनिश्चित किया जा सके।
एनडीए ने 45 सीटों को क्रिटिकल जोन में रखा
बिहार विधानसभा की इन 45 सीटों को एनडीए ने ‘क्रिटिकल ज़ोन’ में रखा है। भाजपा, जदयू, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) की संयुक्त चुनावी समितियाँ इन क्षेत्रों में बूथ स्तर तक समीक्षा कर रही हैं। बता दें कि सीटों की रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसमें 2020 के विधानसभा चुनाव में इन सीटों में हार के क्या कारण थे और इस बार उन कारणों को कैसे दूर किया जा सकता है, इस पर मंथन किया जा रहा है।
एनडीए ने इस बार कई ऐसी सीटों पर प्रत्याशी बदलने का निर्णय लिया है जहां 2020 में बहुत कम अंतर से जीत मिली थी। गठबंधन की रणनीति है कि एंटी-इंकम्बेंसी (विरोधी लहर) से बचने के लिए चेहरों में परिवर्तन किया जाए और स्थानीय समीकरणों को साधा जाए।
बिहार के खगड़िया जिले की परबत्ता विधानसभा सीट से 2020 में जदयू प्रत्याशी मात्र 951 मतों से जीते थे, जबकि राजद उम्मीदवार बहुत नजदीक थे। इस बार सीट शेयरिंग में यह सीट जदयू से हटकर भाजपा के खाते में चली गई है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि वहां जातीय संतुलन और संगठन की स्थिति को ध्यान में रखकर यह फैसला किया गया है।
इसी तरह, अरवल, पिपराई, चकाई, मोकामा, मनेर, और बहादुरगंज जैसी कई सीटों पर एनडीए प्रत्याशी 2000 से कम मतों के अंतर से हारे या जीते थे। इनमें से कुछ स्थानों पर स्थानीय नेताओं की सक्रियता बढ़ाई जा रही है, जबकि कुछ सीटों पर नए चेहरों को मौका देने की तैयारी है।
भाजपा और जदयू युवा और महिला वोटरों को साधेंगे
भाजपा और जदयू के बीच इन 45 सीटों को लेकर लगातार बैठकें हो रही हैं। गठबंधन के रणनीतिकारों ने तय किया है कि हर ऐसी सीट पर ‘माइक्रो मैनेजमेंट टीम’ बनाई जाएगी, जिसमें बूथ अध्यक्ष से लेकर जिलाध्यक्ष तक की जिम्मेदारी तय होगी। साथ ही, महिला वोटरों और युवा मतदाताओं को साधने के लिए अलग अभियान शुरू किए जा रहे हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा है, “2020 में जहां हम कुछ सौ मतों से पीछे रह गए, 2025 में वहां निर्णायक जीत दर्ज करेंगे।”
दूसरी ओर, राजद और महागठबंधन (एमजी) भी इन करीबी मुकाबले वाली सीटों पर अपनी रणनीति को धार दे रहे हैं। राजद ने ऐसे विधानसभा क्षेत्रों में अपने कार्यकर्ताओं को पहले ही सक्रिय कर दिया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि एनडीए की आंतरिक असहमति और सीट बंटवारे से उन्हें लाभ मिलने की संभावना है।
एनडीए की समीक्षा रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में करीब 20 सीटों पर 2000 से कम वोटों का अंतर था, जबकि लगभग 25 सीटों पर 2000 से 5000 के बीच का अंतर रहा। इनमें अधिकतर क्षेत्र उत्तर बिहार और सीमांचल के हैं, जहाँ मुस्लिम-यादव और अति पिछड़ा वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
एनडीए इन इलाकों में सामाजिक समीकरणों को फिर से साधने की कोशिश कर रहा है, जिसमें जदयू का सामाजिक अभियानी नेटवर्क और भाजपा का संगठन तंत्र एक साथ काम करेगा।
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