Bihar : राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के मंच में पप्पू और कन्हैया को आने से कौन रोक रहा?

Bihar Assembly Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर तमाम राजनीतिक दल और गठबंधन अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हैं। खासकर कांग्रेस पार्टी इस बार के चुनाव में काफी सक्रिय और आक्रामक दिखाई दे रही है। लेकिन यह ध्यान देना जरूरी है कि कांग्रेस के मंचों पर निर्दलीय सांसद पप्पू यादव और युवा नेता कन्हैया कुमार को उचित स्थान नहीं मिल रहा है।

वर्तमान राजनीतिक माहौल में पूर्णिया सांसद पप्पू यादव और कांग्रेस के युवा नेता कन्हैया कुमार को महागठबंधन से दूर रखना मजबूरी बन चुका है। इसकी मुख्य वजह है कि इन दोनों में नेतृत्व करने का आत्मविश्वास और जनता से सीधे संवाद स्थापित करने की क्षमता है, जिसे राजद सुप्रीमो लालू यादव, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और अनुभवी कांग्रेस नेताओं द्वारा स्वीकार नहीं किया जा रहा है।

राजनीतिक गलियारों में जब भी सांसद पप्पू यादव और वाम दल से आए युवा नेता कन्हैया कुमार के बारे में चर्चा होती है, तो अधिकतर नेताओं का मानना है कि लालू यादव के रहते ये दोनों नेता खुलकर अपनी भूमिका नहीं निभा पाएंगे। इसकी मुख्य वजह यह है कि ये दोनों नेता तेजस्वी के भविष्य की राजनीति में ही अधिक प्रभावशाली दिखाई देते हैं। और यह भी है कि महागठबंधन की राजनीति में ये दोनों नेता उपयुक्त नहीं माने जाते हैं।

कौन हैं पप्पू यादव?

पप्पू यादव विशेष रूप से सीमांचल क्षेत्र के ऐसे नेता हैं, जिन्होंने अपनी पहचान खुद बनाई है। उन्होंने पहली बार 1990 में सिंघेश्वर विधानसभा से निर्दलीय विधायक के रूप में कदम रखा। 1991 से 1996 तक पूर्णिया से निर्दलीय सांसद रहे। फिर 1996 में पुनः पूर्णिया से सांसद बने। 1999 में तीसरी बार पूर्णिया से निर्दलीय सांसद चुने गए। इसके बाद 2004 में राजद के टिकट पर मधेपुरा लोकसभा से सांसद बने। 2014 में पांचवीं बार राजद से सांसद चुने गए। और अभी 2024 में फिर से पूर्णिया से निर्दलीय सांसद के रूप में लौटे हैं।

फिर क्यों हो रही है पप्पू यादव की फजीहत?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को पप्पू यादव की नेतृत्व शैली, सामाजिक कार्यों में निरंतर भागीदारी और विपदा के समय जनता के बीच रहने से बनी छवि से खतरा महसूस होता है। कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि इनकी लोकप्रियता कहीं प्रदेश कांग्रेस के वर्चस्व को नुकसान न पहुंचाए। पहले ही कांग्रेस में उनकी पत्नी, रंजीत रंजन, राज्यसभा सांसद हैं, जो छत्तीसगढ़ की प्रभारी भी हैं।

अगर पप्पू यादव को कांग्रेस में शामिल कर लिया जाए, तो इससे पार्टी के बड़े नेताओं का वर्चस्व कमजोर पड़ सकता है, जो अभी तक कांग्रेस को राजद की कठपुतली बनाकर अपने हित साधते आए हैं। साथ ही, यदि वे राजद के साथ मिलकर सत्ता में आते हैं, तो पार्टी का वर्चस्व उनके हाथ से फिसल सकता है। इसलिए, कभी राजद की आड़ में या रणनीतिक तौर पर कन्हैया कुमार को राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के साथ एक फ्रेम में लाने से बचा जा रहा है।

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