बिजनेसमैन के लिए बिहार बना नरक! पहले अंजनी सिंह फिर जयप्रकाश का मर्डर, अब गोपाल खेमका की गोली मारकर हत्या

Gopal Khemka Murder Case : बिहार में सरकार के सुशासन के दावों के बीच अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। इससे राज्य के व्यापारी और व्यवसायियों का जीवन खतरे में पड़ गया है। पिछले दो सालों में अनेक कारोबारीयों पर हमला हुआ है, जिनमें से कई अपनी जान गंवा चुके हैं।

बता दें कि शुक्रवार रात को पटना के गांधी मैदान के पास एक कारोबारी गोपाल खेमका की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इससे पहले जून में पटना में जमीन कारोबारी अंजनी सिंह की हत्या हो चुकी है। मुजफ्फरपुर में हार्डवेयर कारोबारी जयप्रकाश का अपहरण कर उनकी हत्या कर दी गई। इसके अलावा बेगूसराय और सीवान जैसे जिलों में भी व्यापारियों की हत्या की खबरें सामने आई हैं। इन घटनाओं ने पूरे राज्य में डर का माहौल बना दिया है।

जून 2025 में पटना के गौरीचक थाना क्षेत्र में जमीन कारोबारी 40 वर्षीय अंजनी सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वे एक पुराने हत्याकांड में गवाह थे और माना जा रहा है कि उनकी हत्या पुरानी रंजिश या जमीन विवाद से जुड़ी हो सकती है। बाइक सवार अपराधियों ने उनके ऊपर हमला किया था, और पुलिस अभी तक हत्यारों को नहीं पकड़ सकी है।

मुजफ्फरपुर में 2024 में हार्डवेयर कारोबारी जयप्रकाश नारायण का अपहरण और हत्या हुई थी। अपराधियों ने 1.5 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी थी, लेकिन जब पैसा नहीं मिला तो उनकी हत्या कर दी गई। परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने समय पर कार्रवाई नहीं की, जिससे अपराधियों का मनोबल बढ़ा है। यह घटना बिहार में बढ़ते फिरौती और हत्याओं का उदाहरण बन गई है।

पटना के एक पॉश इलाके में शनिवार, 5 जुलाई 2025 को कारोबारी गोपाल खेमका की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इससे पहले, 2018 में उनके बेटे की हत्या हो चुकी थी। अब उनके ऊपर भी हमला हुआ। पुलिस की देरी से घटनास्थल पहुंचने का आरोप है, जिसके कारण जनता का गुस्सा फूट पड़ा है। सोशल मीडिया पर लोग इसे जंगलराज का दूसरा भाग बता रहे हैं।

बेगूसराय में अक्टूबर 2024 में एक कारोबारी की हत्या कर दी गई, जिसे आपराधिक गिरोह से जुड़ी बात माना गया है। वहीं, सीवान में 2023 में एक छोटे व्यापारी की फिरौती के लिए हत्या हुई। इन सभी मामलों में पुलिस की सुस्ती और अपराधियों का बेखौफ रवैया साफ नजर आता है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के 2022 के आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में लगभग 65 प्रतिशत हत्याएं संपत्ति विवाद या व्यापारिक झगड़ों से जुड़ी हैं। पिछले कुछ वर्षों में कई व्यापारी मारे गए हैं, जिससे इस क्षेत्र में खतरा बढ़ गया है। पुलिस ने कुछ हत्यारो को गिरफ्तार किया है, लेकिन अधिकतर मामलों में अभी तक कोई सजा नहीं मिली है।

हर महीने किसी न किसी का मर्डर हो रहा है। बीते 19 जून को नालंदा में जमीन कारोबारी रजी अहमद की हत्या हुई। मई में भागलपुर में किराना व्यवसायी विनय गुप्ता की हत्या हुई। मार्च में मुजफ्फरपुर में रियल एस्टेट कारोबारी रमेश चंद्रा की हत्या हुई। अप्रैल में गया में ज्वेलर संजय अग्रवाल की हत्या कर दी गई। जनवरी में भागलपुर में कपड़ा व्यापारी विनोद मेहता की हत्या हुई।

इसे ही अप्रैल में जहानाबाद जिले में एक 55 वर्षीय कारोबारी का सनसनीखेज मामला सामने आया, जो पुणे का रहने वाला था। वह व्यवसायिक यात्रा पर पटना आए थे, तभी उनका शव सुनसान इलाके में मिला। प्रारंभिक जांच में पता चला कि उनकी हत्या धारदार हथियार से की गई है। इन घटनाओं से साफ है कि बिहार में अपराध का खतरा लगातार बढ़ रहा है।

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