लखनऊ। एक परिवार के सभी सदस्यों के आधार कार्ड के जरिए उनकी डिजिटल पहचान तय होगी। इससे सरकारी योजनाओं में बेजा लाभ लेने वाले चिन्हित होंगे। फर्जीवाड़ा रुकेगा। इसके लिए डिजिटल कुटुम्ब पोर्टल बनेगा। इससे हर परिवार के राशन कार्ड व परिवार के सदस्यों के आईडी से आधार जुड़ेंगे। आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश में सरकारी योजनाओं का बेजा लाभ लेना मुश्किल ही नहीं बल्कि लगभग नामुमकिन बनाने की तैयारी शुरू हो गयी है। अब राज्य के हर परिवार के राशन कार्ड पर दर्ज मुखिया के नाम के साथ जुड़े आधार नम्बर से उस परिवार के अन्य सदस्यों के आधार नम्बर भी जोड़े जाएंगे।
जिन परिवारों के पास राशन कार्ड नहीं हैं या जो इसके पात्र नहीं है उन्हें एक परिवार आईडी जारी की जाएगी। इसके बाद इस परिवार का एक डिजिटल कुटुम्ब यानि समूह विकसित होगा। इस डिजिटल कुटुम्ब में दर्ज परिवार के मुखिया के साथ परिवार के अन्य सभी सदस्यों की पहचान स्पष्ट हो जाएगी कि इनमें से कौन-कौन लोग किस-किस सरकारी योजना का लाभ ले रहे हैं। यही नहीं साथ ही अब यह भी तय होगा कि अमुक परिवार इन सरकारी योजनाओं का लाभ लेने का पात्र है भी या नहीं। प्रदेश सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना पर आधारित एक प्रस्तुतीकरण पिछले दिनों नयी दिल्ली में नीति आयोग और यूआइडी के अधिकारियों के साथ हुई कार्यशाला में पेश किया गया। राज्य के प्रमुख सचिव नियोजन आलोक कुमार ने बताया कि इस परियोजना के लागू होने से सरकारी योजनाओं का लाभ लेने वाले लक्षित हो सकेंगे। दोहरा लाभ या बेजा इस्तेमाल लाभ लेने वालों की शिनाख्त भी हो सकेगी। यही नहीं जाति, निवास प्रमाण पत्र अगर परिवार के किसी एक सदस्य ने आनलाइन बना रखा है तो फिर डिजिटल कुटुम्ब में शामिल परिवार के अन्य सदस्यों में से अगर अन्य कोई किसी योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन करेगा तो उसे दोबारा ऐसे प्रमाण पत्र बनवाने की जरूरत नहीं होगी।
उस परिवार आईडी से परिवार के मुखिया के साथ अन्य सदस्यों के आधार नम्बर जोड़े जाएंगे। अब एप्लीकेशन पोर्टल बनवाया जा रहा है। इस बीच सरकारी कल्याणकारी योजनाओं को संचालित करने वाले विभागों से आधार नोटिफाईड करवाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कुछ राज्यों ने ऐसे प्रयोग शुरू भी किये हैं।