लखनऊ. लखनऊ में ( Corona) कोरोना बीमारी को लेकर हुई पड़ताल में गंभीर मामला उजागर हुआ है। यहां हजार संदिग्ध मरीजों की रिपोर्ट ही गायब हो गयी है। इनका ( Positive-negative) पॉजिटिव-निगेटिव होना महीनों से रहस्य बना हुआ है। शहर में ( Corona) कोरोना का पहला मामला 11 मार्च को आया। सीएमओ की टीम ने संदिग्ध मरीजों के सैंपल संग्रह शुरू किए। पहले हर रोज 50-60 सैंपल संग्रह किए, फिर आंकड़ा चार सौ तक पहुंचा। सरकार ने ( Contact Tracing – Sampling) कांटेक्ट ट्रेसिंग- सैंपलिंग कर मरीजों को समयगगत चिन्हित करने का सख्त निर्देश दिया। लिहाजा, जनपद में प्रतिदिन ( Corona testing) कोरोना टेस्टिंग का आंकड़ा दो हजार पार कर गया। महीनों से चल रहे टेस्टिंग अभियान में करीब डेढ़ लाख के करीब टेस्ट हो चुके हैं।
वहीं सीएमओ दफ्तर के रिकॉर्ड में 2, 334 मरीजों की रिपोर्ट गायब मिली। यह रिपोर्टडिस्ट्रिक सर्विलांस पोर्टल से नदारद हैं। अब टीम के सैंपल संग्रह-टेस्टिंग, रिपोर्टिंग सवालों के घेरे में हैं। सीएमओ की टीम संदिग्ध मरीजों के सैंपल संग्रह कर केजीएमयू जांच के लिए भेजती हैं। यहां मरीजों की रिपोर्ट अधिकतम 24 से 48 घंटे में उपलब्ध कराने का दावा किया जाता है। मगर, मई, जून, जुलाई के 2,334 मरीजों की रिपोर्ट सीएमओ कार्यालय मिलने से इन्कार कर रहा है।
( Acmo) एसीएमओ डॉ. एमके सिंह के मुताबिक, मरीजों की रिपोर्ट सीधे पोर्टल पर अपलोड की जाती हैं। मगर, पेंशेंट रिपोर्ट फिल्ट्रेशन में इन मरीजों की रिपोर्ट नहीं पाई गई हैं। एसीएमओ डॉ. एमके सिंह के मुताबिक, मरीजों की रिपोर्ट न मिलने की जानकारी डीएम को दी गई। उन्होंने केजीएमयू को कारण बताओ नोटिस जारी की है। यदि लापरवाही मिली तो जिला प्रशासन द्वारा एपेडमिक एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।