
नई दिल्ली : आवारा कुत्तों से जुड़े मामले पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई ने मामले को तीन जजों की बेंच के पास भेज दिया। मामला जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच को सौंपा गया है। मामले पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगा। यह फैसला दो जजों की बेंच के आदेश की समीक्षा के लिए लिया गया है।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को आदेश दिया था कि दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर तुरंत शेल्टर होम में भेजा जाए। साथ ही, यह भी स्पष्ट किया गया था कि पकड़े गए कुत्तों को किसी भी हालत में दोबारा सड़कों पर नहीं छोड़ा जाएगा।
शीर्ष अदालत ने दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को 8 हफ्तों में शेल्टर में रखने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली-एनसीआर के सभी आवारा कुत्तों को रिहायशी इलाकों से उठाकर शेल्टर होम में रखा जाए। कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि जो भी संगठन या व्यक्ति इस काम में बाधा डालेगा, तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने दिया है। बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह जनहित में यह कदम उठा रही है, इसलिए इसमें किसी भी तरह की भावनाओं को शामिल नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि इस विषय पर केवल केंद्र सरकार की दलीलें सुनी जाएंगी और किसी भी अन्य पक्ष, यहां तक कि पशु प्रेमियों की याचिका पर भी सुनवाई नहीं होगी।
कोर्ट ने ये भी कहा था कि इन शेल्टर होम में पेशेवर लोग होने चाहिए जो कुत्तों को संभाल सकें। उनकी नसबंदी और टीकाकरण कर सकें। इसके अलावा, सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी कुत्ता वहां से भाग न पाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी भी कुत्ते को गोद लेने की अनुमति नहीं होगी, ताकि अधिकारी उन्हें शेल्टर होम में रखने के अपने काम को पूरा कर सकें।
कोर्ट ने नागरिक प्राधिकरणों को एक समर्पित टीम बनाने का भी अधिकार दिया था, ताकि इस काम को कुशलता से किया जा सके। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि स्थिति बहुत गंभीर है और तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।
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