
प्रयागराज : संभल की जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर विवाद में मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाईकोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर सिविल रिवीजन याचिका को खारिज कर दिया है, जिससे अब जिला अदालत में मस्जिद परिसर का सर्वे दोबारा शुरू किया जा सकेगा। इस फैसले के साथ ही 19 नवंबर 2024 को संभल सिविल कोर्ट द्वारा दिए गए सर्वे आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
यह था मामला:
- 19 नवंबर 2024 को संभल की सिविल अदालत ने शाही जामा मस्जिद का एएसआई से सर्वे कराने का आदेश दिया था।
- इस पर मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की, और मुकदमे की पोषणीयता पर सवाल उठाए।
- 8 जनवरी 2025 को हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई शुरू की थी और अंतरिम आदेश देते हुए सर्वे पर अस्थायी रोक लगा दी थी।
- 13 मई को बहस पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे अब 19 मई को सुनाया गया।
जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने सोमवार को अपना फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष की दलीलों को खारिज कर दिया। कोर्ट ने साफ किया कि जिला अदालत में सर्वे का मुकदमा अब आगे बढ़ेगा।
मस्जिद कमेटी की दलीलें और हाईकोर्ट का जवाब:
- मुस्लिम पक्ष की ओर से याचिका में यह कहा गया था कि सिविल कोर्ट को इस तरह के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है।
- अदालत ने इन तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि मामले की गहराई से जांच और तथ्यों की पुष्टि के लिए सर्वे जरूरी है।
पिछला आदेश – रंगाई-पुताई को मिली थी आंशिक मंज़ूरी:
इससे पहले, 12 मार्च 2025 को हाईकोर्ट ने रमज़ान के दौरान रंगाई-पुताई से जुड़ी मस्जिद कमेटी की एक याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार किया था, जिसमें एएसआई को मस्जिद की बाहरी दीवारों की मरम्मत व रंगाई की अनुमति दी गई थी।
क्या होगा अब आगे?
- अब एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) द्वारा सर्वे की प्रक्रिया फिर से शुरू की जा सकती है।
- यह फैसला उस पूरे क्षेत्र में ऐतिहासिक और धार्मिक दावों की पड़ताल के लिए अहम माना जा रहा है।
- मुस्लिम पक्ष के पास अब सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प बचता है, लेकिन तब तक स्थानीय अदालत में कार्यवाही जारी रहेगी।