
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले में 27 मदरसों को गिराने की कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है। अदालत ने कहा कि जिन नोटिसों के आधार पर यह कार्रवाई की जा रही थी, उन सभी का नोटिस नंबर एक जैसा है, जिससे यह प्रतीत होता है कि ये बिना उचित विचार-विमर्श के जारी किए गए हैं।
न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की ग्रीष्मावकाश कालीन एकल पीठ ने यह आदेश मदरसों की ओर से दायर 27 याचिकाओं की सुनवाई के दौरान दिया। कोर्ट ने 3 जुलाई 2025 तक के लिए इन मदरसों को अंतरिम राहत दी है। इस अवधि तक उनके खिलाफ कोई उत्पीड़नात्मक कार्रवाई या ढहाने की प्रक्रिया नहीं की जाएगी।
क्या था मामला?
याचिकाओं में बताया गया कि 1 मई 2025 को जारी नोटिसों के जरिए इन मदरसों में दी जा रही धार्मिक शिक्षा पर रोक लगाई गई और ढहाने की चेतावनी दी गई। याचिकाकर्ता पक्ष के वकील अविरल राज सिंह ने कोर्ट में दलील दी कि एक अन्य मिलते-जुलते मामले में कोर्ट ने पहले ही राहत दी थी, इसलिए इन याचियों को भी अपना पक्ष रखने का मौका मिलना चाहिए।
सरकारी पक्ष की तैयारी अधूरी
सुनवाई के दौरान सरकारी वकील अदालत में कोई ठोस जवाब नहीं रख सके और अतिरिक्त दो हफ्ते का समय मांगा, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया। कोर्ट ने कहा कि चूंकि सभी नोटिस एक ही नंबर के हैं, इसलिए यह मामला न्यायिक हस्तक्षेप का बनता है।
अगली सुनवाई 3 जुलाई को
कोर्ट ने सरकार से जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है और अगली सुनवाई की तारीख 3 जुलाई 2025 तय की है। तब तक किसी भी तरह की कार्रवाई पर साफ रोक लगा दी गई है।
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