
- रिश्वतखोरी के धब्बे में डूबा टेक्सटाइल विभाग
- भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई से हड़कंप”
बरेली। एक बार फिर साबित हो गया कि भ्रष्टाचार कुछ सरकारी दफ्तरों की रगों में दौड़ रहा है। हथकरघा एवं वस्त्र उद्योग विभाग, जिसे बुनकरों के सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता का आधार माना जाता है, अब खुद भ्रष्टाचार के कीचड़ में लथपथ नजर आ रहा है। इस बार विभाग की साख पर एक और बड़ा धब्बा तब लगा, जब टेक्सटाइल इंस्पेक्टर आदित्य प्रकाश को एंटी करप्शन टीम ने 20 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया।
सरकार भले ही “भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस” की बात करती हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। यह मामला न केवल एक रिश्वतखोर अफसर का चेहरा बेनकाब करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे सिस्टम की नस-नस में भ्रष्टाचार घुला हुआ है।आरोपी आदित्य प्रकाश बरेली में तैनात था और लखनऊ के गोमतीनगर का निवासी है। उस पर आरोप है कि उसने ग्राम भगवन्तापुर के बुनकरों के लिए प्रस्तावित हथकरघा क्लस्टर के सर्वे के नाम पर पीड़ित मुख्तार अहमद अंसारी से 20 हजार रुपये की मांग की। यानी जो स्कीम बुनकरों को आगे बढ़ाने और रोजगार देने के लिए लाई गई थी, उसी को भ्रष्ट अफसरों ने अपने जेब भरने का जरिया बना लिया।
यह शर्मनाक ही नहीं, बल्कि खतरनाक संकेत है – सरकारी योजनाएं आम जनता तक पहुंचने से पहले ही दलालों और रिश्वतखोरों की बलि चढ़ जाती हैं। मुख्तार अहमद ने इस रिश्वतखोरी की शिकायत एंटी करप्शन टीम से की। टीम ने जाल बिछाया और जैसे ही आदित्य प्रकाश ने 20 हजार की तय रकम ली, उसे दफ्तर से रंगे हाथों पकड़ लिया गया। यह कार्रवाई मंगलवार सुबह 11:53 बजे की गई।
आरोपी के खिलाफ थाना बारादरी में एफआईआर दर्ज की गई है और उससे पूछताछ जारी है। सूत्रों की मानें तो उससे कुछ अन्य मामलों में भी जानकारी ली जा रही है। सवाल उठता है – क्या यह अकेला मामला है या आदित्य प्रकाश जैसे और भी अधिकारी इस भ्रष्टाचार की कड़ी में शामिल हैं?टेक्सटाइल इंस्पेक्टर का मामला उजागर हो चुका है, लेकिन क्या थाना बारादरी इस केस को अंजाम तक पहुंचाएगा, या फिर कुछ महीने बाद यह फाइल भी ‘समझौते’ की भेंट चढ़ जाएगी ?