
- विभाग में गुणवत्तापरक शिक्षक एवं शोध को मिलेगा और प्रोत्साहन
वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के वनस्पति विज्ञान विभाग ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। विभाग ने बैकयार्ड गार्डन और ग्लास हाउस सुविधा विकसित की है। यह नव विकसित स्थल एक शोध केंद्र और जीवित कक्षा के रूप में कार्य करता है, जो वनस्पति शिक्षा और संरक्षण प्रयासों को समृद्ध करता है। इसके अंतर्गत एक क्रिप्टोगैमिक गैलरी की भी स्थापना की जा रही है, जिसमें शैवाल, कवक, ब्रायोफाइट्स और टेरिडोफाइट्स जैसे अपुष्पीय पौधों के अध्ययन और प्रदर्शन की व्यवस्था होगी।
डीन, इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस प्रो. एस. के. उपाध्याय ने इसका उद्घाटन कर इसे छात्रों,शोध छात्रों के लिए समर्पित कर दिया। प्रो. उपाध्याय के अनुसार
विभाग की सबसे मूल्यवान धरोहरों में से एक है राष्ट्रीय महत्व की हर्बेरियम , जिसे हाल ही में पुनर्निर्मित किया गया है। इसमें हजारों संरक्षित पौधों के नमूने संकलित हैं, जिनमें कई दुर्लभ और ऐतिहासिक संग्रह शामिल हैं जो पिछले सौ वर्षों से अधिक की अवधि में एकत्र किए गए हैं। यह हर्बेरियम देश-विदेश के शोधकर्ताओं, विद्यालय समूहों और विद्वानों द्वारा नियमित रूप से देखा और सराहा जाता है तथा अंतर विषयक शोध का एक महत्वपूर्ण संसाधन है। वर्तमान में इसे डिजिटाइज किया जा रहा है ताकि यह एक वैश्विक स्तर पर सुलभ डिजिटल संरचना के रूप में विकसित हो सके । बताते चले बीएचयू के वनस्पति विज्ञान में स्नातकोत्तर शिक्षण की शुरुआत 1919 में प्रोफेसर बीरबल साहनी, एफ.आर.एस. के नेतृत्व में हुई थी। जिन्होंने भारत में वनस्पति शिक्षा और अनुसंधान की एक समृद्ध परंपरा की नींव रखी। समय के साथ, इस विभाग का नेतृत्व प्रो. वाई. भारद्वाज, प्रो. आर. मिश्र और प्रो. आर. एन. सिंह जैसे प्रख्यात विद्वानों ने किया, जिन्होंने शैवालविज्ञान और पारिस्थितिकी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त शोध संस्थाएं स्थापित कीं। विभाग के प्रारंभिक इतिहास की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि 1927 में डॉ. बी. एन. सिंह को वनस्पति विज्ञान में डी.एससी. उपाधि प्रदान किया जाना था।