भोपाल : CM मोहन यादव ने केंद्र सरकार को कहा धन्यवाद…जातीय जनगणना को बताया ऐतिहासिक कदम

भोपाल, मध्यप्रदेश : केंद्र सरकार ने लंबे समय से चली आ रही जातिगत जनगणना की मांग को आखिरकार मंजूरी दे दी है। इस फैसले पर देशभर में सियासी हलचल तेज हो गई है और तमाम दलों के नेता अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने केंद्र सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे “समय की आवश्यकता” और “ऐतिहासिक कदम” बताया है।

सीएम मोहन यादव का केंद्र सरकार को धन्यवाद

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा,
“यह स्वतंत्र भारत में अब तक का सबसे बड़ा सामाजिक निर्णय है। यह फैसला समता, समरसता और सामाजिक न्याय की दिशा में एक नया अध्याय लिखेगा। यह केवल आंकड़े नहीं, बल्कि वंचित और पिछड़े वर्गों के जीवन में बदलाव लाने का जरिया बनेगा।”

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र की कैबिनेट का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वर्षों से जिस सामाजिक संतुलन की बात होती रही, अब वह आंकड़ों के साथ नीतियों में बदलेगा।

जातीय जनगणना का ऐतिहासिक संदर्भ

भारत में पिछली बार पूर्ण जातिगत जनगणना 1931 में ब्रिटिश शासनकाल में की गई थी। 1941 में भी जातियों की गणना हुई थी, लेकिन आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए। 2011 में भी जातीय गणना की मांग ज़ोर-शोर से उठी थी, लेकिन केवल अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) तक ही सीमित रही। अब पहली बार ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) सहित सभी जातियों की औपचारिक गिनती और उसके आंकड़े सार्वजनिक करने की तैयारी की जा रही है।

केंद्र सरकार की घोषणा

बुधवार को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट मीटिंग के बाद घोषणा की कि आगामी जनगणना में जातिगत आधार पर आंकड़े एकत्र किए जाएंगे। यह जनगणना पूरे देश में एक मानकीकृत प्रक्रिया के तहत होगी।

सीएम ने कांग्रेस पर साधा निशाना

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जातिगत जनगणना में अब तक की देरी के लिए कांग्रेस और राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, “दशकों तक जिन दलों ने इस मांग का विरोध किया, आज वही राजनीतिक लाभ के लिए इसे मुद्दा बना रहे हैं।”

जातिगत जनगणना क्या है?

जातिगत जनगणना का तात्पर्य है देश की सम्पूर्ण आबादी को उनकी जाति के आधार पर वर्गीकृत करना। अभी तक केवल SC और ST वर्ग की गिनती ही होती थी। अब इसके अंतर्गत ओबीसी सहित सभी जातियों के आंकड़े एकत्र किए जाएंगे और इन्हें सार्वजनिक भी किया जाएगा। इससे नीतिगत फैसलों, योजनाओं और संसाधनों के वितरण में अधिक पारदर्शिता और प्रभावशीलता आएगी

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