10 ट्रेड यूनियनों का भारत बंद! सरकार के सामने रखी 17 मांगें, बोले- चार नए लेबर कोर्ट्स हो रद्द

Bharat Band : आज यानी 9 जुलाई को 10 ट्रेन यूनियनों ने मिलकर भारत बंद का एलान किया है। जिसके तहत आज देश भर में सभी जगह देशव्यापी प्रदर्शन हो रहा है। इस विरोध प्रदर्शन में 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियंस शामिल हुईं, जिसमें कुल 25 करोड़ कर्मचारी हड़ताल कर रहे हैं। इस हड़ताल के पीछे केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी, किसान विरोधी और राष्ट्र विरोधी कॉरपोरेट समर्थक नीतियों को वजह बताया गया है।

आईए अब ये जानते हैं कि इस हड़ताल से किन-किन सेवाओं पर असर पड़ेगा और इन ट्रेड यूनियंस की मांगे क्या हैं? दरअसल, भारत बंद का असर बैंकिंग, डाक, कोल माइनिंग, इंश्योरेंस, स्टेट ट्रांसपोर्ट जैसी सेवाओं पर ज्यादा देखने को मिलेगा। निर्माण और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं पर भी इस बंद का  असर पड़ेगा। बस, टैक्सी और अन्य सेवाओं में भी  रुकावट संभव है। लगभग 27 लाख पावर कर्मचारी इसमें शामिल हो रहे हैं, इसलिए बिजली आपूर्ति प्रभावित हो रही है।

आईए अब ये जानते हैं कि इन 25 ट्रेड यूनियंस की मांगे क्या है और क्यों विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं? सरकार के खिलाफ हड़ताल करने वाले इन ट्रेड यूनियन ने बीते साल 17 सूत्रीय मांगे सरकार को सौंपी थी। उन्हीं मांगों को लेकर यह बंद बुलाया गया है। इनकी मांग है कि नौकरियों की कमी, महंगाई और मजदूरी में गिरावट जैसे मुद्दों का समाधान निकाला जाना चाहिए। वारिषिक श्रम सम्मेलन की बहाली की जाए। चार नए लेबर कोर्ट्स को भी रद्द किया जाए।

हड़ताल और सामूहिक सौदेबाजी के अधिकारों की रक्षा की जाए। बिहार में भी इस हड़ताल को लेकर चक्का जाम करने का एलान किया गया है। तो घर से निकलने से पहले आप अच्छी तरह चेक कर लीजिए कि आप जिस काम से जा रहे हैं कि वह हो सकता है या फिर नहीं।

यूनियनों द्वारा श्रम मंत्री को 17 सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंपा था। उनकी मांग कुछ इस प्रकार है-

  • शहरी बेरोजगारों के लिए भी मनरेगा जैसी योजना लागू हो
  • मनरेगा की मजदूरी और दिनों की संख्या बढ़ाई जाए
  • निजीकरण, कॉन्ट्रेक्ट बेस्ड नौकरी और आउटसोर्सिंग पर रोक लगे
  • चार लेबर कोड खत्म हों, जो कर्मचारियों के हक छीनते हैं
  • मलभूत जरूरतों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और राशन पर खर्च बढ़े
  • सरकार ने 10 साल से वार्षिक श्रम सम्मेलन आयोजित नहीं किया।
  • बेरोजगारी दूर करने के लिए नई भर्तियां शुरू की जाएं
  • युवाओं को नौकरी मिले, रिटायर्ड लोगों की दोबारा भर्ती बंद हो
  • कर्मचारियों ने सरकार से मांग की है कि चार श्रम संहिताओं पर रोक लगाएं।
  • श्रमिकों के यूनियन बनाने और हड़ताल करने के अधिकार को बहाल करें।
  • अधिक नौकरियों के अवसर हों, खास तौर पर उन युवाओं के लिए, जिनकी उम्र वर्ष से कम है और जिनकी आबादी भारत में 65% है।
  • नई भर्तियों के ज़रिए सरकारी रिक्तियों को भरें।
  • मनरेगा मज़दूरी बढ़ाएं और इसे शहरी क्षेत्रों तक फैलाएं।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा और नागरिक सेवाओं को मज़बूत बनाएं।

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